Social Media Ban: सोशल मीडिया आज हमारी लाइफ का अहम हिस्सा बन गया है। लेकिन इसके उपयोग का सबसे ज्यादा असर आपकी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। वहीं, बच्चों में इसका असर वयस्कों की तुलना में ज्यादा ही पड़ता है।
लिहाजा, ऑस्ट्रेलिया सरकार ने अपने देश के 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और स्नैपचैट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोशल मीडिया की लत, साइबर बुलिंग और हानिकारक कंटेंट जैसे खतरों को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया सरकार ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया है।
गौरतलब हैं कि अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के सोशल मीडिया के अत्यधिक इस्तेमाल के बारे में चेतावनी जारी कर चुका हैं। इसी तरह दिल्ली एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर राजेश सागर का मानना हैं कि ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाना सराहनीय कदम हैं।
2025 से लागू होगा कानून
ऑस्ट्रेलिया सरकार का यह नया कानून अगले साल यानी 2025 के शुरुआती महीनों से लागू किया जाएगा। इस नए कानून के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि 16 साल से कम उम्र के बच्चे इनके उपयोगकर्ता नहीं बनेंगे। ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की यह जिम्मेदारी होगी कि वे 16 साल के बच्चों को इससे दूर रखने के लिए अपने यूजर्स की उम्र की पुष्टि करना अनिवार्य होगी।
इन कारणों से उठाना पड़ा बड़ा कदम?
सोशल मीडिया के दुष्परिणाम किसी से छिपे नहीं है। भले सोशल मीडिया ने हमारे जीवन को सुगम कर दिया हो, लेकिन इसके दुष्परिणामों को नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता है। वहीं, छोटे बच्चों पर तो इसका असर काफी ज्यादा होता है। नतीजतन, ऑस्ट्रेलिया सरकार को यह कदम सोशल मीडिया के कारण बच्चों में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संकट को देखते उठाया गया है। सरकार का मानना हैं कि सोशल मीडिया की लत, साइबर बुलिंग और हानिकारक कंटेंट जैसे खतरा बच्चों में बढ़ता जा रहा है, इस वजह इसे कम करने के लिए कुछ कड़े कदम उठाना होंगे। यही वजह है कि सरकार 16 साल के बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर बैन लगा दिया।
अंडरएज यूजर्स नहीं बना सकेंगे अकाउंट
सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कड़े निर्देश दिए हैं कि उनके प्लेटफॉर्म्स पर अंडरएज यूजर्स अकाउंट नहीं बना सकें। इसके लिए इन प्लेटफॉर्म्स को एडवांस वेरिफिकेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग करना अनिवार्य होगा। यदि कोई कंपनी इन नियमों का पालन नहीं करती है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्लेटफॉर्म्स को इस नए कानून को लागू करने के लिए एक साल का समय दिया गया है।
फेसबुक, इंस्टाग्राम ने फैसले का स्वागत किया
फेसबुक और इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी मेटा ने सरकार के इस निर्णय का समर्थन किया है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि वे नए नियमों का पूरी सख्ती से पालन करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उम्र संबंधी वेरिफिकेशन प्रक्रिया सुचारू रूप से लागू हो।
ऑस्ट्रेलिया बना पहला देश
ऑस्ट्रेलिया 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पूरी तरह से बैन करने कानून लागू करने वाला पहला देश है। इससे यह संदेश स्पष्ट है कि बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा रही है। ऐसे में यह फैसला अन्य देशों को भी इसी दिशा में सोचने के लिए प्रेरित कर सकता है। ऑस्ट्रेलिया की तरह दूसरे देशों को भी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक जिम्मेदार बनना होगा। बता दें कि इस कदम का उद्देश्य बच्चों को सोशल मीडिया की लत और हानिकारक प्रभावों से बचाना है। हालांकि, प्लेटफॉर्म्स के लिए यह नई चुनौती होगी, क्योंकि एडवांस वेरिफिकेशन सिस्टम को लागू करने में समय और अधिक संसाधन लगेंगे।
भारत में क्या स्थिति है?
सोशल मीडिया की लत ऑस्ट्रेलिया या भारत की समस्या नहीं हैं। यह एक तरह से ग्लोबल प्रॉब्लम हैं और इससे निपटने के लिए सभी को एक साथ आना होगा। भारत में भी पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कानून लागू होना है। इस कानून के तहत 18 साल तक के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर सख्त नियम लागू होंगे। इस कानून के मुताबिक, सोशल मीडिया कंपनियों को 18 साल तक बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल के लिए उनके पैरेंट्स या गार्जियन की स्वीकृति लेना आवश्यक होगी। साथ ही बच्चों के डेटा पर शर्तें लागू होंगी। साथ ही सोशल मीडिया बच्चों को टारगेट करके एडवरटाइजिंग नहीं कर सकेंगे।
इन देशों में पहले से बैन
दक्षिण कोरिया गेमिंग रेगुलेशन समाप्त।
चीन में एज के हिसाब से नेट का इस्तेमाल।
फ्रांस में 15 साल तक पैरेंटल कंट्रोल।
यूएसए में 13 साल तक पैरेंटल कंट्रोल।
यूरोपिन देशों में 16 साल तक पैरेंटल कंट्रोल।