29 मार्च 2025 को शनिवार के दिन शनि अमावस्या का दुर्लभ संयोग बन रहा है, और इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी होगा, जो भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर शाम 6 बजकर 16 मिनट तक चलेगा
कहां कहां दिखाई देगा ग्रहण
यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो उत्तरी अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा…. लेकिन भारत में नजर नहीं आएगा, फिर भी इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व हमारे लिए कम नहीं है, क्योंकि शनि अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है और इस दिन शनिदेव का प्रभाव सबसे अधिक होता है, जिसे ज्योतिष में कर्मफल दाता माना जाता है
क्यों है ये अमावस्या इतनी खास
हिंदू धर्म में यह दिन पितरों की पूजा और तर्पण के लिए बेहद शुभ माना जाता है मान्यता है कि विधि-विधान पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, आत्मा की शांति पाते हैं और वंशजों को सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं.. खासकर जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष, शनि की साढ़े साती, ढैय्या या अन्य ग्रह दशाएं चल रही हैं, उनके लिए यह दिन किसी वरदान से कम नहीं…
किस प्रकार करे पूजन जानिए विधि
तर्पण की विधि में सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, फिर एक तांबे या मिट्टी के लोटे में जल लें, उसमें काले तिल, जौ, फूल और थोड़ा कच्चा दूध डालें, दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके अपने पितरों का ध्यान करें, उनके नाम और गोत्र का उच्चारण करें, फिर अंगूठे से धीरे-धीरे जल अर्पित करें…. इस दौरान ‘ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः नमः’ या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें, इसके बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं, क्योंकि पीपल को पितरों और शनिदेव का प्रिय वृक्ष माना जाता है और गरीबों को काले कपड़े, अन्न, तेल या जूते-चप्पल का दान करें…. सूर्य ग्रहण के दौरान कोई धार्मिक कार्य न करें, क्योंकि यह समय ऊर्जा में बदलाव का होता है, इसलिए तर्पण को ग्रहण से पहले सुबह या ग्रहण खत्म होने के बाद करें… साथ ही शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें, शनि यंत्र की पूजा करें और नीली या काली वस्तुओं का दान भी शुभ माना जाता है, कुछ लोग इस दिन कौवों को भोजन खिलाते हैं, क्योंकि उन्हें पितरों का प्रतीक माना जाता है और गाय को हरा चारा या गुड़ खिलाना भी पुण्यदायी होता है, इस दिन सात्विक भोजन करें, मांस-मदिरा से दूर रहें, और परिवार के साथ मिलकर पूजा करें
किन बातों का रखें विशेष ध्यान
कई जगह लोग गंगा या किसी पवित्र नदी के किनारे तर्पण के लिए जाते हैं, लेकिन अगर यह संभव न हो तो घर पर ही एक छोटा पूजा स्थल बनाकर विधि पूरी की जा सकती है चूंकि भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा, सूतक काल मान्य नहीं होगा, लेकिन ज्योतिषी सलाह देते हैं कि ग्रहण के समय ध्यान, जप या शांत रहना ही बेहतर है और गर्भवती महिलाओं को खास सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे बाहर न निकलना, तेज धार वाली चीजों से दूर रहना और सूरज की ओर न देखना इस दिन शनि मंदिर में जाकर तेल चढ़ाना, शनि चालीसा का पाठ करना और काले उड़द की दाल का दान करना भी शनि दोष से मुक्ति दिला सकता है, और यह संयोग न सिर्फ व्यक्तिगत जीवन में शांति लाता है, बल्कि परिवार और समाज में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।”