07Nov

Lawrence bishnoi नहीं बल्कि ये शख़्स हैं काले हिरण का सच्चा हमदर्द!

Lawrence bishnoi: लॉरेंस बिश्नोई नहीं बल्कि अनिल बिश्नोई हैं काले हिरण के सच्चे हमदर्द। काले हिरण को बचाने का जूनून अनिल बिश्नोई में कॉलेज समय से ही था। उस समय अनिल बिश्नोई के जिले में हर महीने काले हिरण मर रहे थे। इससे अनिल उदास होता था और उन्हें गुस्सा आता था लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर क्या किया जाए?

कॉलेज की पढ़ाई के दौरान अनिल बिश्नोई ने अपनी कम्यूनिटी की एक कॉन्फ्रेंस अटैंड की। जिसका मुद्दा था जंगलों की अंधाधुन कटाई और वाइल्डलाइफ को सेफ कैसे करें? इस समय अनिल बिश्नोई की ज़िंदगी के मायने बदल गए। अपनी पढ़ाई करने के जब वह गांव आए तो उन्होंने काले हिरणों को बचाने का संकल्प लिया। तब उन्होंने गांव वालों को जागरूक किया कि जब भी काले हिरण का शिकार होने की संभावना हो उन्हें सूचित कर दिया जाए।

एक बार अनिल को गांव के एक शख्स ने ऐसी ही जानकारी दी कि कहीं पर काले हिरण का शिकार होने वाला है। उस समय ठंड का मौसम था। अनिल अपनी मोटर साइकिल उठाकर करीब 30 किलोमीटर गया लेकिन तब तक काला हिरण मारा जा चुका था। शिकारी मांस पका रहे थे। अनिल ने पुलिस को बुलाकर शिकारी को गिरफ्तार कर केस दर्ज करवाया। इसके बाद एक बार फिर ऐसी सूचना पर अनिल शिकारी को रोकने जाते हैं लेकिन शिकारी उन पर बंदूक तान देता है। पुलिस की मदद से वह एक बार फिर शिकारी को गिरफ्तार करवाते है।

अनिल बिश्नोई राजस्थान के लखासर गांव के रहने वाले हैं और अब तक 300 शिकारियों को रंगे-हाथों गिरफ्तार करवा चुके हैं। इसके अलावा काले हिरण को बचाने के लिए अनिल ने 200 पोखर बनवाएं ताकि वह आसानी से पानी पी सकें। इसके अलावा वह चोटिल काले हिरणों के इलाज में भी मदद करते हैं। अब तक वे 10 हजार से अधिक काले और चिंकारा हिरणों को बचाने में सफल हुए है। आज उनकी टीम में तीन हजार से अधिक मेंबर है। यही वजह है कि अनिल बिश्नोई को 2009 में राजस्थान सरकार ने अमृता देवी एनवायरनमेंटल अवार्ड से सम्मानित किया।

कौन हैं लॉरेंस बिश्नोई?

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जबकि लॉरेंस बिश्नोई ने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से की और छात्र राजनीति में चला गया। इस दौरान वह स्टूडेंट पॉलिटिकल इलेक्शन में एक कैंडिडेट के लिए कैम्पेन कर रहा था। तब अपोजिट पार्टी वालों से उसका झगड़ा हो गया। इस दौरान लॉरेंस एक दोस्त ने वार्निंग देने के हिसाब से बंदूक चला दी। इसके बाद लॉरेंस और उसके साथियों ने अपोजिट पार्टी के लिए कैम्पेन करने वाले एक शख़्स की गाड़ी जला दी। इस मामले में पुलिस ने लॉरेंस और उसके 8 दोस्तों को गिरफ्तार किया। जहां जेल में वह हथियारों के सप्लायर से मिला। जेल से छूटने के बाद वह गुंडागर्दी करता रहा। इस दौरान उस पर कई केस हुए। लेकिन दोनों पार्टियों ने समझौता कर लिया और लॉरेंस पर लगे सारे केस ख़ारिज हो गए। 2010 में उसने पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट के लिए चुनाव लड़ा। चुनाव हारने पर उसने अपने प्रतिद्वंद्वी कैंडिडेट पर हमला कर दिया।

काला जठेड़ी कौन हैं?

साल 2011 में जमानत पर बाहर आने पर उसने फिर से चुनाव लड़ा और वह इस बार जीत गया। कॉलेज में रहने के दौरान लॉरेंस पर 18 मुकदमें दर्ज हो चुके थे। साल 2012 में लॉरेंस को लॉ की डिग्री मिल जाती है। 2013 में उसने अपने एक साथी को कॉलेज प्रेसिडेंट के इलेक्शन में उतारा। इस दौरान लॉरेंस और उसके साथी ने प्रतिद्वंदी कैंडिडेट की हत्या कर दी। हत्या के वह और उसके साथी फरार हो गए। 2014 में लॉरेंस पकड़ा गया। लेकिन 2015 में वह एक पुलिस कस्टडी से भाग गया। लेकिन एक बार फिर उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह वह समय था जब लॉरेंस अपनी गैंग बना चुका था। इसके बाद लॉरेंस के दोस्त गोल्डी बरार ने गैंग को चलाना शुरू किया। इस दौरान लॉरेंस ने जेल में एक और गैंगस्टर काला जठेड़ी से हाथ मिला लिया। इस दौरान दोनों ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में 30 मर्डर किए। हालाँकि इसके बाददोनों में झगड़ा हो गया। इस दौरान लारेंस का सबसे बड़ा दुश्मन था दविंदर बंबीहा। दोनों की दुश्मनी थी हफ्ता वसूली को लेकर। दविंदर बंबीहा का हफ्ता वसूली रैकेट उस समय चडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के आसपास चलता था। इस दौरान लॉरेंस और दविंदर की गैंग के बीच चंडीगढ़, दिल्ली और पंजाब में शूटआउट हुए। इसके अलावा पंजाब म्यूजिक इंडस्ट्री और कबड्डी के खिलाड़ियों पर शिकंजा कसने के लिए भी दोनों गैंग्स आमने-सामने हो गई। लेकिन 2016 में दविंदर बंबीहा एक पुलिस एनकाउंटर में मारा जाता है।

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