MADHYA PRADESH NEWS: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सात साल पहले हुए डीपीएस स्कूल बस हादसे को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 12 साल से ज्यादा पुरानी स्कूल बसों को प्रतिबंधित कर दिया है और स्कूल बसों व अन्य वाहनों के लिए 22 बिंदुओं पर आधारित गाइडलाइन बनाई है।
कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु
1. 12 साल पुरानी स्कूल बसों पर प्रतिबंध
12 साल से अधिक पुरानी स्कूल बसें अब सड़क पर नहीं चल सकेंगी।
2. वाहनों पर अनिवार्य मानक
– बसें पीले रंग में रंगी होंगी।
– वाहन के बाहर स्कूल का नाम, वाहन प्रभारी का नाम, पता और मोबाइल नंबर अंकित होगा।
– खिड़कियों पर रंगीन फिल्म लगाना प्रतिबंधित होगा।
– प्रत्येक बस में फर्स्ट एड बॉक्स और अग्निशमन यंत्र होना अनिवार्य है।
– ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का अनुभव और स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए।
3. सुरक्षा उपकरण और निगरानी
– प्रत्येक बस में GPS ट्रैकिंग सिस्टम और CCTV कैमरा लगाया जाएगा।
– स्पीड गवर्नर का होना अनिवार्य है।
– बसों के अंदर रात के समय नीले बल्ब लगाना होगा।
4. आपातकालीन प्रावधान
– बस में दाईं ओर आपातकालीन दरवाजा और उच्च गुणवत्ता वाला लॉकिंग सिस्टम होना चाहिए।
– प्रशिक्षित परिचारक का होना अनिवार्य है।
5. ऑटो रिक्शा के लिए नियम
– चालक सहित केवल चार लोग ही बैठ सकेंगे।
6. अभिभावकों को सुविधा
– मोबाइल ऐप के जरिए वाहन को ट्रैक करने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की सुविधा दी जाएगी।
2018 का डीपीएस हादसा
– 5 जनवरी 2018 को इंदौर में डीपीएस स्कूल की बस हादसे का शिकार हो गई थी।
– हादसे में चार बच्चों और ड्राइवर की मौत हो गई थी।
– इस घटना ने स्कूल वाहनों की सुरक्षा और प्रबंधन को लेकर कई सवाल खड़े किए थे।
कोर्ट की गाइडलाइन का महत्व
यह फैसला बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है । कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक मोटर व्हीकल एक्ट में स्कूल बसों के लिए अलग प्रावधान नहीं जोड़े जाते, तब तक इन गाइडलाइनों का पालन सख्ती से किया जाएगा।
प्रभाव और जिम्मेदारी
– सभी जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक इन गाइडलाइनों का पालन सुनिश्चित करेंगे।
– स्कूल प्रबंधन ड्राइवर की योग्यता और अन्य सुरक्षा मानकों के अनुपालन की जिम्मेदारी लेगा।
यह कदम बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने और पुराने व असुरक्षित वाहनों पर निर्भरता को खत्म करने की दिशा में एक सराहनीय पहल है।