”तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है”
PM Awas Yojana: अदम गोंडवी के इस शेर को कहे दशकों बीत चुके हैं। लेकिन आज भी ग्रामीण अंचलों के हाल ज्यों के त्यों बने हुए हैं। गरीबों की फाइलें सरकारी अफसरों की टेबल पर आकर ऐसे रुक जाती हैं कि साल दर साल बीतते जाते हैं लेकिन ये फाइलें न हिलती हैं और नहीं आगे बढ़ती हैं। और इन फाइलों को न सांसद, न विधायक और न बड़े ओहदे पर बैठे सरकारी अफसर हिला सकते हैं, और न ही मुफ़लिसों की नेताओं के सामने जी हुजूरी हिला सकती हैं। इन फाइलों को सिर्फ ‘घूस’ नाम का ‘जिन्न’ ही हिला और आगे बढ़ा सकता हैं।
लेकिन दो वक्त की रोटी के लिए लकड़ियां बेचकर अपना घर परिवार चला रही ये महिलाएं इतनी लाचार और बेबस है कि वे इन सरकारी अफसरों और नेताओं को अपनी फाइलों को आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत नहीं दे सकती है। नतीजतन, सालों साल ये फाइलें सरकारी टेबलों पर ही सड़ जाती है। लेकिन इन फाइलों की सीलन गंध सूंघकर भी इन्हें उस बरसात के पानी की याद नहीं आती हैं, जो इन गरीबों के कच्चे घरों में रिश्ता है।

दरअसल, मामला हीरों की खान कहे जाने वाले पन्ना जिले के अंतर्गत आने वाले ग्राम द्वारी, मजरा, नयापुरा और टेढ़ी का हैं। यहां कि आदिवासी और पिछड़ा वर्ग की 40 से अधिक महिलाएं आए दिन एक अदने से मकान के लिए कभी नेताओं के सामने गिड़गिड़ा रही हैं, तो कभी सरकारी अफसरों कि खाक छान रही हैं ताकि अपने मासूम बच्चों को सर्दी, बारिश के कहर से बचा सकें। लेकिन इनकी किस्मत में सिर्फ और सिर्फ ये कच्चे घर (घरोंदे) ही नसीब हैं।
मंगलवार को 40 से अधिक महिलाएं प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मिलने आवास के लिए कलेक्टर कार्यालय पहुंची। अपने मासूम बच्चों को गोद में लेकर तपती में ये सरकारी कार्यालय के बाहर जनसुनवाई के लिए घंटों बैठी रही।

ग्राम नयापुरा निवासी गुड्डी बाई आदिवासी का कहना हैं कि ”पीएम आवास योजना में उनका नाम आ जाता हैं लेकिन सचिवऔर सरपंच लिस्ट से नाम काट देते हैं। आवास योजना का लाभ देने के लिए 10 हजार रुपये की रिश्वत की मांग करते हैं।”
लरजते स्वर में गुड्डी बाई आगे कहती हैं कि ‘गरीब लोगों कि कोई सुनता ही नहीं है। बड़े आदमियों की हर कोई सुनवाई कर देता है, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं करता। हम लकड़ियां बेचकर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं और अपना पेट भरते हैं। चार पांच सालों से परेशान है। लेकिन, अभी तक उन्हें पीएम आवास योजना का फायदा नहीं मिल पाया है। हमारे परिवार में न हमारी सास, न हमारी जेठानी और न ही हमें पीएम मोदी की इस योजना का लाभ मिल पाया है। जबकि हमारी सास तो बुजुर्ग हैं और सरकारी अफसरों के चक्कर नहीं लगा सकती हैं। लेकिन उनका भी मकान नहीं बन पाया है। कलेक्टर ने आश्वासन दिया है कि उन्हें पक्का घर मिल जाएगा। लेकिन पता नहीं कब मिलेगा, सालों तो बीत गए हैं।”

ग्राम पंचायत द्वारी निवासी ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि ”ये आदिवासी बूढ़ी महिलाएं हैं, लेकिन इन्हें सालों बाद भी पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ को इनकी समस्या से अवगत कराया हैं। पिछली बार भी ये गरीब महिलायें जनसुनवाई में आई थी। इन्होंने सांसद और विधायकों को भी अपना दर्द बयां किया लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। पूर्व सरपंच और वर्तमान सरपंच किसी ने सुनवाई नहीं की।”
योजना को 9 साल बीत चुके हैं
पीएम मोदी की इस योजना को अब तक 9 वर्ष से अधिक समय बीत चुका हैं। इस योजना का पहला चरण अप्रैल 2015 से मार्च 2017, दूसरा चरण अप्रैल 2017 से मार्च 2019, तीसरा चरण अप्रैल 2019 से मार्च 2022 तक चला। साथ ही PMAY-U 2.0 योजना के तहत 31 दिसंबर 2024 तक ग्रामीण और शहरी गरीबों को घर मुहैया कराना हैं।