Farming: आबादी के हिसाब से भारत, चीन से आगे निकल चुका हैं लेकिन अनाज उत्पादन में भारत चीन के आगे कहीं नहीं ठहरता है। भारत में जहां एक तरफ उर्वरकों को प्रचुर मात्रा में उपयोग किया जा रहा हैं, वहींचीन अपनी फसलों में उर्वरकों का उपयोग कम कर दिया है। इसके बावजूद उसका अनाज उत्पादन हर वर्ष लगातार बढ़ रहा हैं। तो आइए जानते हैं भारत और चीन में फसल उत्पादन में कितना अंतर हैं।

बीते वर्ष चीन ने 7065 लाख टन उत्पादन किया

बीते वर्ष यानी साल 2024 में चीन अनाज का 7065 लाख टन उत्पादन किया। वहीं, 2023 में यह आंकड़ा 695.41 मिलियन टन का था। वहां के कृषि मंत्री के मुताबिक, बीजों की बेहतर क्वालिटी, खेती की आधुनिक तकनीक और कृषि निवेश को बढ़ाने से उनका उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। इस वर्ष चीन में धान का भी काफी उत्पादन हुआ है। इस साल चावल का उत्पादन 2075 लाख टन रहा है। 2024 में वहां चावल उत्पादन में 0.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ। जबकि गेहूं में 2.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। गेहूं का कुल उत्पादन 1401 लाख टन रहा। मक्का बीते साल वहां 2949.2 लाख टन का रहा।

भारत ने 3288.52 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन किया

भारत में साल 2023-24 में 3288.52 लाख मीट्रिक टन अनाज का उत्पादन हुआ। चीन की तुलना में भारत अनाज उत्पादन में काफी पीछे हैं। 2024 में भारत में 1367 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ। जबकि 1129.25 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 356.73 लाख मीट्रिक टन मक्का का उत्पादन हुआ। बता दें कि चीन और भारत का गेहूं उत्पादन लगभग करीब है लेकिन अन्य अनाजों में हम काफी पीछे हैं।

यह भी जानिए

1. भारत चीन से फसल उत्पादन में काफी पीछे हैं, इसके बावजूद चीन को अपनी खाद्यान्य पूर्ति के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। जबकि भारत अपनी घरेलु खाद्यान्न पूर्ति कर लेता है।

2. बता दें कि चीन में शहरीकरण और क्लाइमेट चेंज के कारण फसलें काफी प्रभावित होती है। वहीं, वहां कि कृषि भूमि का एक तिहाई हिस्सा ही उपजाऊ है।

3. चीन में 2014 से 2020 के बीच आधुनिक खेती में ड्रोन का उपयोग 250 फीसदी तक बढ़ गया है। वहीं, भारत में खेती में ड्रोन के उपयोग को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

4. आधुनिक खेती के बाद चीन ने भारत को चावल उत्पादन में भी पीछे छोड़ दिया है। साल 2023 में भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश रहा है। जबकि इस सूची में चीन 5वें पायदान पर था।

5. चावल की तरह गेहूं उत्पादन में चीन सबसे बड़ा देश है। इसके बावजूद घरेलू खपत के लिए चीन को भारत समेत दूसरे देशों गेहूं निर्यात करना पड़ता है।

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Female Prisoner: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने महिला कैदियों को नए साल पर बड़ा तोहफा दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रदेश की जेल में बंद महिला कैदियों को सप्ताह में एक बार शैम्पू, महीने में हेयर रिमूवल क्रीम दी जाएगी। महिला कैदियों की साफ सफाई को ध्यान में रखते हुए 1 जनवरी, 2025 से यह सुविधा शुरू हो जाएगी। वहीं, राज्य के सभी कैदियों को अब खाने में सलाद भी उपलब्ध करवाई जाएगी। साथ ही चाय, दूध, दाल और तेल की मात्रा भी थोड़ी बढ़ाकर दी जाएगी।

गांधी जयंती से मिलने वाली थी सुविधा

यह सुविधा प्रदेश में 2 अक्टूबर, गांधी जयंती से मिलने वाली थी। दरअसल, एमपी करेक्शनल सर्विसेज एंड प्रिज़न्स एक्ट-2024 के तहत बदलाव होने वाले थे। लेकिन कुछ आवश्यक चीजों के छूटने की वजह से कैदियों को अब नए साल पर यह तोहफा मिल रहा है। कैदियों की हेल्थ और साफ सफाई के साथ अब जेलों में तकनीकि सुविधा बढ़ाने और भीड़ को कम करने पर जोर दिया जाएगा। गौरतलब हैं कि प्रदेश की जेलों में 43 हजार कैदी हैं, जबकि जेलों की क्षमता 36 हजार की है। वहीं, महिला कैदियों की संख्या 1,900 हैं।

जेल स्टाफ को मिलेगी ट्रेनिंग

केंद्र सरकार के मॉडल प्रिज़न्स एक्ट 2023 के आधार पर प्रदेश सरकार ने ‘सेंट्रल प्रिज़न’ या ‘डिस्ट्रिक्ट प्रिज़न’ के साथ ‘करेक्शनल इंस्टीट्यूशन’ को सम्मिलित किया है। साथ ही इन नए कानूनों के मुताबिक, अपराधी के मन को समझना और बदलना के तहत जेल स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही जेल में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। प्रशासनिक कामों को डिजिटल कर इस डेटाबेस को केंद्र सरकार के कम्प्यूटरीकृत सिस्टम से लिंक किया जाएगा।

जेलर करेंगे छापेमारी

मोबाइल फोन और अन्य प्रतिबंधित सामान को बरामद करने के लिए जेल अधीक्षक समय समय पर तलाशी और छापेमारी करेंगे। वहीं, खतरनाक कैदियों वाले हिस्सों एडवांस्ड जैमिंग डिवाइस की मदद से निगरानी रखी जाएगी। वहीं, सरकार जेल हॉस्पिटल की क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ जेलों को अत्याधुनिक बनाने के लिए प्रिज़न एंड करेक्शनल इंस्टीट्यूशन डेवलपमेंट बोर्ड बनाएगी।

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Damoh News: दमोह में कलेक्टर ऑफिस के बाहर बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने जमकर हंगामा किया। लोगों ने जिले के कलेक्टर के खिलाफ हल्ला बोला । दरअसल, यहाँ पहुंचे लोग अचानक डीएम के रवैये से नाराज हो गए और उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर भगवती मानव कल्याण संगठन के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थी। इन लोगों ने शहर के मुख्य मार्गो पर रैली निकाली और बंगलादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की खिलाफत की। ये सारे लोग कलेक्टर को ज्ञापन देने उनके दफ्तर पहुंचे थे और डीएम को ज्ञापन देना चाहते थे लेकिन कलेक्टर नहीं ज्ञापन लेने नहीं आए तो लोग भड़क गए।

मानव कल्याण कार्यकर्ता ने बताया कि संगठन संगठन के लोगों का आरोप है कि जब भी उनके संगठन के लोग नशा मुक्ति अभियान को लेकर यहाँ कलेक्टर को ज्ञापन देने या मिलने आते हैं तब कलेक्टर उनका ज्ञापन नहीं लेते। लेकिन छोटे-छोटे राजैनतिक दलों का ज्ञापन लेने चौराहों पर चले जाते हैं। आखिरकार कलेक्टर ने आकर ज्ञापन लिया तब कहीं जाकर ममाला शांत हो पाया।

Bhopal News: भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल बीत चुके हैं। जो इस त्रासदी गुजरा है भले उनके जख्म भरे नहीं हो लेकिन इतने वर्षों बाद अब यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के गोदाम में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे हटाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ख़बरों के मुताबिक, इस जहरीले कचरे को भोपाल से 250 किलोमीटर दूर इंदौर के पास पीथमपुर ले जाया जाएगा। जहां इसका निष्पादन किया जाएगा। 12 कंटेनरों की मदद से कचरे को पीथमपुर पहुंचाया जाएगा। इसके लिए एक्सपर्ट्स की निगरानी में कचरे को इन कंटेनरों में भरा जा रहा है।

200 मीटर का दायरा सील

फैक्ट्री से कचरे को हटाने के लिए कैंपस के साथ आसपास का 200 मीटर का दायरा सील कर दिया गया है। कैंपस के आसपास 100 पुलिसकर्मी को तैनात किया गया है। इसके अलावा कचरे को हटाने के लिए 400 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी, एक्सपर्ट्स और डॉक्टरों की टीम सक्रिय हैं। बता दें कि यूनियन कार्बाइड फ़ैक्ट्री का यह कचरा रामकी कंपनी {Re Sustainability Pvt.Ltd} के एक्सपर्ट्स की देखरेख में हो रहा है। गौरतलब हैं कि 40 साल पहले हुई इस त्रासदी में 5 हजार से अधिक लोग मारे गए थे।

हवा गुणवत्ता जांची जाएगी

एक्सपर्ट्स की निगरानी में इस जहरीले कचरे को हटाया जा रहा है। इसके लिए विशेष सावधानी बरती जा रही है। इसके लिए हवा की गुणवत्ता जांचने के लिए क्वालिटी मॉनिटरिंग उपकरण लगाए गए हैं। बता दें कि इन उपकरणों की मदद से PM 10, PM 2.5, सल्फर डाई ऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा जमा कचरे की मिट्टी और धूल को भी पीथमपुर भेजा जाएगा।

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UPI नहीं कैश…इंदौर के राजवाड़ा में 650 दुकानों में UPI से पेमेंट बंद, आम आदमी परेशान

इंदौर। देशभर में लगातार बढ़ते सायबर फ्रॉड की घटनाओं के चलते मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में व्यापारियों में इस कदर डर बैठ गया कि उन्होंने डिजिटल पेमेंट लेना ही बंद कर दी। राजवाड़ा के 650 से अधिक दुकानों पर अब यूपीआई से पेमेंट नहीं लिया जा रहा है। दरअसल, राजवाड़ा के रेडिमेड कपड़ों के कारोबारियों के एक संगठन का कहना हैं कि साइबर ठगी के मामलों में बेक़सूर दुकानदारों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए। जिसके विरोध में कपड़ा व्यापारियों ने ग्राहकों से UPI पेमेंट की बजाय कैश पेमेंट लेने का निर्णय लिया है।

सरकार का ध्यान खींचने के लिए लगाए पोस्टर

राजवाड़ा में कपड़ों की कुछ दुकानों पर बोर्ड लगाए गए हैं कि ‘साइबर फ्रॉड की आशंकाओं के चलते ऑनलाइन-यूपीआई का पेमेंट नहीं ले पाएंगे।’ इस मामले इंदौर रिटेल गारमेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अक्षय जैन का कहना हैं कि साइबर ठगी के कारण कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में कारोबारियों की समस्याओं को तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए यह पोस्टर लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि साइबर ठगी से धन हड़पने वाले अपराधी दुकानदारों को यूपीआई के जरिए भुगतान करते हैं। इसकी कीमत कारोबारियों को चुकाना पड़ती है। बेक़सूर लोगों के खाते फ्रीज कर दिए जाते हैं। इससे बिजनेस तो चौपट हो ही रहा है साथ ही व्यापारियों की साख भी बिगड़ रही हैं।

शिकायत मिलने पर कारोबारियों पर कार्रवाई करेंगे

इस मामले में अपराध निरोधक शाखा के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया का कहना हैं कि कारोबारियों द्वारा यूपीआई से पेमेंट नहीं लेने और नगद लेन देन को बढ़ाने की घोषणा पूरी तरह गलत है। यदि कोई कस्टमर इसकी शिकायत करता है तो संबंधित कारोबारी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। वहीं उन्होंने कहा कि यदि किसी कारोबारी का साइबर ठगी की शिकायत के बाद खाता फ्रीज हो जाता है तो उचित दस्तावेज दिखाकर लेन देन को बहाल कर दिया जाता है।

Manmohan Singh Death: आर्थिक सुधारों के जनक और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। देर शाम तबीयत बिगड़ने के बाद सिंह को दिल्ली एम्स के इमरजेंसी विभाग में एडमिट कराया गया था। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रहते हुए इंडियन इकोनॉमी की तस्वीर बदल दी। भारत के आर्थिक उदारीकरण में डॉ मनमोहन का अविस्मरणीय योगदान रहा है। बता दें कि 90 के दशक में जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था उस समय वित्तमंत्री रहते हुए कई बड़े फैसले लिए। हम आपको मनमोहन सिंह के वो 7 बयान बता रहे हैं, जिन्होंने सभी को हैरान कर दिया –

”मैं जो कुछ भी हूँ, अपनी शिक्षा की वजह से हूँ।”

डॉ. मनमोहन सिंह सबसे पढ़े लिखें प्रधानमंत्री में से एक थे। उन्होंने एक बार कहा था कि ”मैं जो कुछ भी हूँ, अपनी शिक्षा की वजह से हूँ।”

”ऐसा काम कोई दूसरा राजनेता नहीं करेगा।”

साल 1996 से 2004 उनके लिए बेहद सक्रियता और व्यस्तता का दौर था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि ”ऐसा काम कोई दूसरा राजनेता नहीं करेगा।”

”मैं मानता हूँ कि आज के मीडिया की तुलना में इतिहास मेरे प्रति अधिक दयालु होगा।”

एक मर्तबा उनसे पूछा कि क्या आप मानते हैं कि आप अपने मिनिस्टर्स पर नियंत्रण नहीं रख पाए। तब उन्होंने कहा था कि ”मैं मानता हूँ कि आज के मीडिया की तुलना में इतिहास मेरे प्रति अधिक दयालु होगा।”

”कई मर्तबा सबसे समझदारी भरी बात यह होती है कि बहुत मूर्खतापूर्ण तरीके से काम किया जाए।”

अपने काम को लेकर वह कहते थे कि ”कई मर्तबा सबसे समझदारी भरी बात यह होती है कि बहुत मूर्खतापूर्ण तरीके से काम किया जाए।”

”यदि काम सही नहीं हुआ होता तो मुझे निकाल दिया जाता।”

जब देश की इकोनॉमी पटरी से उतरने वाली थी तब उन्होंने कहा था कि ”यदि काम सही नहीं हुआ होता तो मुझे निकाल दिया जाता।”

 ”यह समय गंवाने के लिए नहीं है।”

जब देश में डबल डिजिट की दर से महंगाई बढ़ रही थी तब उन्होंने कहा था कि ”यह समय गंवाने के लिए नहीं है।”

”बलिदान के लिए तैयार रहना होगा।”

एक बार देश की इकोनॉमी पॉलिसी में बदलाव को लेकर उन्होंने कहा था कि ”बलिदान के लिए तैयार रहना होगा।”

यह भी देखें : देश में रहने वाला ईसाई, मुस्लिम भी हिंदू हैं -धीरेंद्र शास्त्री

https://www.youtube.com/watch?v=VscPgCxOMGQ

Manmohan Singh Death: आर्थिक सुधारों के जनक और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। देर शाम तबीयत बिगड़ने के बाद सिंह को दिल्ली एम्स के इमरजेंसी विभाग में एडमिट कराया गया था। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रहते हुए इंडियन इकोनॉमी की तस्वीर बदल दी। भारत के आर्थिक उदारीकरण में डॉ मनमोहन का अविस्मरणीय योगदान रहा है। बता दें कि 90 के दशक में जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था उस समय वित्तमंत्री रहते हुए कई बड़े फैसले लिए।

कई बड़े फैसले लेकर बदल देश की दिशा

देश की इकोनॉमी को बूस्ट करने में साल 1991 में डॉ मनमोहन सिंह ने कई बड़े फैसले लिए जो मील का पत्थर साबित हुई। उन्होंने लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया। इसके अलावा विदेशी निवेशकों के लिए उन्होंने अर्थव्यवस्था खोल दिया। भारत में उन्होंने ग्लोबलाइजेशन, लिबरलाइज़ेशन और प्राइवेटाइजेशन के नए युग की शुरुआत की। अपनी दूरदर्शिता और सूझ-बूझ से उन्होंने गंभीर आर्थिक संकट से जूझ भारत को निकाला।

जब इंडियन इकोनॉमी क्रैश हो गई थी

मनमोहन ने देश को गहरे आर्थिक संकट से निकालने में अहम भूमिका थी। यह ऐसा दौर था जब विदेशी मुद्रा भंडार ख़त्म हो गया था और देश दिवालिया होने की कगार पर था। देश में महंगाई चरम पर थी और इंडियन करेंसी क्रैश हो चुकी थी। केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार थी। उस समय रूपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 18 फीसदी लुढ़क गया था और देश में फॉरेक्स रिजर्व केवल 6 अरब डॉलर बचा था। जो महज दो हफ्ते के लिए था। देश का राजकोषीय घाटा 8 प्रतिशत और चालू खाता घाटा 2.5 प्रतिशत पहुंच गया था।

मनमोहन सिंह का वो ऐतिहासिक बजट

गहरे आर्थिक संकट के हालातों में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह देश के 22वें फाइनेंस मिनिस्टर बनें। इस दौरान उन्होंने 24 जुलाई 1991 को अपना पहला बजट पेश किया और आर्थिक उदारीकरण के लिए बड़े फैसलों का ऐलान किया। कहा जाता है कि 1991के इस बजट ने इंडियन इकोनॉमी की सूरत बदल दी। डॉ सिंह ने आयात शुल्क को 300 फीसदी से घटाकर 50 फीसदी कर दिया और सीमा शुल्क को 220 प्रतिशत से 150 प्रतिशत कर दिया। आयात को सुगम बनाने के लिए लाइसेंस प्रक्रिया को आसान कर दिया। देश की सूरत बदलने के लिए ग्लोबलाइजेशन, लिबरलाइज़ेशन और प्राइवेटाइजेशन की बात कही गई। विदेशी निवेशकों को बढ़ाकर देश में प्राइवेट कंपनियों को आयात की आजादी दी गई।

60 करोड़ डॉलर की रकम जुटाई

इस दौरान उन्होंने TDS की शुरुआत करके कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाने का ऐलान कर दिया। साथ ही प्राइवेट सेक्टर की म्यूचुअल फंड में भागीदारी की अनुमति दी। वहीं तक़रीबन ख़त्म हो चुके विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक ऑफ इंग्लैंड समेत अन्य संस्थानों के पास इंडियन गोल्ड को गिरवी रखने का निर्णय लिया। इससे उन्होंने करीब 60 करोड़ डॉलर की रकम जुटाई।

Today In History: किसी भी राष्ट्र की उन्नति में उसके अतीत के इतिहास की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कहते हैं न कि किसी भी देश के लिए उसका अपना इतिहास उसे वर्तमान को समझने और भविष्य के सुगम रास्ते को तैयार करता है। इतिहास ही वो कड़ी है जो अतीत से वर्तमान और भविष्य को जोड़ता है। तो आइए जानते हैं भारतीय एवं विश्व इतिहास में 26 दिसंबर की प्रमुख घटनाएं-

1748 – दक्षिणी हॉलैंड को लेकर ऑस्ट्रिया और फ्रांस के बीच समझौते पर हस्ताक्षर।

1904 – मुंबई से दिल्ली के बीच भारत की पहली क्रॉस कंट्री मोटरकार रैली का उद्घाटन।

1925 -यूरेशियाई देश तुर्की में ग्रेगोरियन कैंलेडर का समावेशन। भारत में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई।

1977 – पूर्वी कजाख क्षेत्र में सोवियत संघ ने एटम बम का परीक्षण किया।

1997 – सीनियर पॉलिटिशियन बीजू पटनायक के पुत्र नवीन पटनायक उड़ीसा के प्रमुख राजनीतिक दल बीजू जनता दल (बीजद) की स्थापना की।

2002 – डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो में दोबारा संघर्ष की शुरूआत। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने दी।

2003 – मध्य पूर्वी देश ईरान में 6.6 की तीव्रता का भूकंप। इससे देश के दक्षिणी पूर्वी शहर बाम में भारी तबाही मच गई।

2004 – सुमात्रा द्वीप के पश्चिम में हिंद महासागर के निचले हिस्से में 9.3 की तीव्रता वाला भूकंप आया जिससे विनाशकारी सुनामी शुरू हो गई। इसके कारण भारत समेत श्रीलंका, इंडिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, मालदीव और आस पास के क्षेत्रों दो लाख तीस हजार लोगों की मौत गई।

2006 – स्पिन के जादूगर शेन वार्न ने इंटरनेशनल टेस्ट क्रिकेट में 700 विकेट लेकर इतिहास रच दिया।

2007 – आज ही के दिन इराकी कुर्द ठिकानों पर तुर्क विमानों ने हमला कर दिया।

2012 – चीन में दुनिया के सबसे लंबे हाई स्पीड रेलमार्ग को आज ही के दिन खोला गया था। यह रेलमार्ग चीन की राजधानी बीजिंग से ग्वांग्झू शहर तक बनाया गया।

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https://www.youtube.com/watch?v=L38twoqZIfQ&t=78s

MP News: राजधानी भोपाल में ही बदमाशों ने कानून व्यवस्था तार तार कर दी। सरेराह बदमाशों ने एक ओला टैक्सी ड्राइवर की बेरहमी से पिटाई कर दी। इतना ही नहीं बदमाशों ने ड्राइवर की रोजी रोटी का माध्यम यानी उसकी टैक्सी भी फोड़ दी।

दरअसल, राजधानी भोपाल में बदमाशों और अब नेता पुत्रों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। यह घटना लालघाटी स्थित हलालपुर बस स्टैंड के पास की है, जहां कुछ युवकों ने ओला ड्राइवर से मारपीट की और उसकी टैक्सी कार में जमकर तोड़फोड़ मचाई।

इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। आरोप है कि मारपीट करने वाले युवकों की गाड़ी पर भाजपा के झंडे और हूटर लगे हुए थे। फिलहाल पुलिस मामला दर्ज कर जांच में जुट गई