INDORE NEWS: मध्यप्रदेश के इंदौर में भिखारी मुक्त शहर बनाने की पहल के दौरान एक महिला भिखारी के पास से 75,748 रुपये कैश मिलने का मामला सामने आया है। यह घटना प्रशासन और आम जनता के लिए चौंकाने वाली साबित हुई, क्योंकि महिला ने बताया कि यह उसकी महज एक हफ्ते की भीख मांगने से हुई कमाई है।

कैसे हुआ खुलासा

रेस्क्यू अभियान इंदौर जिला प्रशासन द्वारा भिखारी मुक्त शहर अभियान के तहत महिला का रेस्क्यू किया गया। जब अधिकारियों ने महिला की तलाशी ली, तो उसकी साड़ी के पल्लू में 500, 200, और 100 रुपये के कई नोट मिले जिसमे छोटे नोट और सिक्के भी शामिल थे।

महिला का दावा

महिला ने अधिकारियों को बताया कि वह इंदौर के बड़ा गणपति के पास स्थित शनि मंदिर के बाहर भीख मांगती है और आमतौर पर हर 10-15 दिनों में इतनी रकम इकट्ठा कर लेती है। उसने कहा कि यह उसके एक हफ्ते की कमाई है। महिला को रेस्क्यू के बाद सेवाधाम आश्रम भेज दिया गया है, जहां उसकी देखरेख की जाएगी।

भिखारी मुक्त अभियान

फरवरी 2024 से चल रहे इस अभियान के तहत सात विभागों की संयुक्त टीम ने इंदौर के भिखारियों को पुनर्वास का विकल्प दिया है। उन्हें आश्रमों में भेजा जा रहा है और भिक्षावृत्ति छोड़ने के लिए समझाइश दी जा रही है। प्रशासन का लक्ष्य शहर को भिक्षावृत्ति से पूरी तरह मुक्त करना है।

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सवाल जो उठते हैं

1. भीख मांगने की व्यवस्था : महिला के दावों से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक स्थलों पर भीख मांगना एक संगठित गतिविधि हो सकती है।
2. पुनर्वास का प्रभाव: प्रशासन के लिए यह चुनौती है कि इस तरह के भिक्षुकों को बेहतर रोजगार या जीवनयापन के साधन मुहैया कराए जाएं।
3. आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण: यह घटना समाज में भिक्षावृत्ति के पीछे की जटिलताओं और इसके आर्थिक पहलुओं की ओर ध्यान दिलाती है।

महिला के पास से इतनी बड़ी रकम मिलना और उसकी नियमित आय का दावा इस बात को उजागर करता है कि भीख मांगने की प्रथा,खासकर धार्मिक स्थलों के पास,एक गंभीर मुद्दा है। प्रशासन की भिखारी मुक्त शहर बनाने की पहल सराहनीय है, लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए भिक्षुकों के लिए दीर्घकालिक समाधान और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना आवश्यक है।

NEW DELHI: हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक राज कपूर की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में कपूर परिवार ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खास मुलाकात की। इस ऐतिहासिक मौके पर कपूर परिवार ने राज कपूर की फिल्मों और उनके योगदान को याद करने के लिए एक भव्य फिल्म फेस्टिवल की योजना साझा की।

रीमा जैन पर PM मोदी का मजेदार रिएक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कपूर परिवार की इस मुलाकात का एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में राज कपूर की बेटी
रीमा जैन, पीएम मोदी से कुछ कहने की कोशिश करती हैं। जैसे ही रीमा ने “आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी” बोलना शुरू किया, वह रुक जाती हैं। पीएम मोदी ने तुरंत फिल्मी अंदाज में उन्हें *‘कट’* बोल दिया, जिससे पूरा माहौल हंसी-मजाक में बदल गया। रीमा जैन ने यह भी बताया कि वह इस मुलाकात के लिए काफी प्रैक्टिस करके आई थीं। यह पल इतना मजेदार था कि वहां मौजूद सभी लोग, जिसमें रणबीर कपूर, करीना कपूर, नीतू कपूर, और अन्य शामिल थे, ठहाके लगाने लगे।

रणबीर कपूर ने कही दिल की बात

रणबीर कपूर ने इस दौरान पीएम मोदी को एक खास गिफ्ट भेंट किया और कहा,
“राज कपूर सिर्फ हमारे परिवार के नहीं, बल्कि पूरे देश के हैं। उनका सपना था कि कला और मनोरंजन हर किसी के दिल में पहुंचे।”
पीएम मोदी ने गिफ्ट को स्वीकार करते हुए इसे *‘पीएम म्यूजियम’* में रखने की बात कही।

राज कपूर की विरासत का सम्मान

कपूर परिवार ने इस खास अवसर पर पीएम मोदी को *राज कपूर और उनके सिनेमा से जुड़ी कई अनमोल यादें और उपहार* भेंट किए। परिवार ने बताया कि यह फिल्म फेस्टिवल भारतीय सिनेमा में राज कपूर के योगदान को एक नया सम्मान देने के लिए आयोजित किया जा रहा है।

करीना कपूर की पोस्ट ने खींचा ध्यान

करीना कपूर खान ने इस मुलाकात की तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम पर शेयर कीं, जिसमें कपूर परिवार और पीएम मोदी को बातचीत करते हुए देखा जा सकता है। उन्होंने कैप्शन में लिखा:
“राज कपूर जी की 100वीं जयंती पर उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास। इस खास मौके को हमारे प्रधानमंत्री के साथ साझा करना गर्व की बात है।”

फिल्म फेस्टिवल की योजना

राज कपूर की 100वीं जयंती पर आयोजित होने वाला यह फिल्म फेस्टिवल, उनके जीवन, फिल्मों और कला के प्रति उनके समर्पण को सम्मानित करेगा। इस आयोजन में उनकी क्लासिक फिल्मों का प्रदर्शन और उनकी अनमोल यादों को साझा किया जाएगा।

यह मुलाकात कपूर परिवार और प्रधानमंत्री मोदी के बीच न सिर्फ एक औपचारिक मौका थी, बल्कि भारतीय सिनेमा और राज कपूर के योगदान के प्रति गर्व और सम्मान का प्रतीक भी। पीएम मोदी का हल्का-फुल्का अंदाज और कपूर परिवार की आत्मीयता ने इस मुलाकात को और भी यादगार बना दिया।

Atul Subhash Suicide: बेंगलुरु के अतुल सुभाष की आत्महत्या ने महिलाओं के अधिकारों के लिए बनाए गए सख्त कानूनों के दुरुपयोग को लेकर बड़ी बहस छेड़ दिया है। सुभाष को उनकी पत्नी व ससुरालवालों की बेहिसाब प्रताड़ना और केसों में तारीख पर तारीख ने लील लिया। वह बीते दो सालों में इस तरह प्रताड़ित थे कि उन्होंने मौत को गले लगाने से पहले 40 पन्नों में अपने पूरे संघर्ष की कहानी बयां कर दी। जो आपको महज रुलायेगी बल्कि अंदर तक झकझोर कर देगी।

कौन थे अतुल सुभाष?

34 साल के अतुल सुभाष मूलतः यूपी के रहने वाले थे। वे पेशे से AI इंजीनियर थे और बेंगलुरु में रहते थे। साल 2019 में उन्होंने निकिता सिंघानिया से शादी करके सुखद वैवाहिक जीवन के सपने संजोए थे। शादी के कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा। लेकिन कुछ दिनों बाद पारिवारिक कलह और रोज़ाना के झगड़ों के चलते अतुल और निकिता के इतनी दूरियां बढ़ गई कि वे बेंगलुरु के मराजाथल्ली इलाके में अकेले रहने चले गए थे।

अपनों और सिस्टम के आगे हार गए अतुल सुभाष

पत्नी और ससुराल पक्षों की क्रूरता का अंदाज़ा महज इस बात से लगा सकते हैं कि सुभाष पर लोअर कोर्ट में 6 और हाई कोर्ट में तीन केस दर्ज कराए गए थे। वाइफ निकिता ने सुभाष और उनके मां-पिता और भाई के ऊपर हत्या, हत्या का प्रयास, अननेचुरल सेक्स, घरेलू हिंसा, दहेज लेने जैसे झूठे आरोप लगाए थे। बता दें कि इन आरोपों में कई ऐसी धाराएं हैं, जिनमें जमानत भी लेना मुश्किल है। सुभाष ने अपनी दुःखद कहानी बयां करते हुए लिखा कि साल 2019 पत्नी ने उन पर 10 लाख रुपये का दहेज़ मांगने का केस दर्ज कराया। इस सदमे में उनके पिता कि मौत हो गई।

मासूम बच्चों से दूर रखा

एक आदमी के लिए उसके बच्चे ही सबकुछ होते हैं लेकिन निकिता ने न सिर्फ अतुल पर झूठे केस थोपे बल्कि उन्हें उनके बच्चों से भी नहीं मिलने दिया। वह किस मानसिक पीड़ा से गुजर रहे थे और उनके जहन में क्या चल रहा था इसका अंदाजा सिर्फ इससे लगाया जा सकता हैं कि उन्होंने सुसाइड से पहले न सिर्फ 40 पेजों का सुसाइड नोट लिखा, बल्कि डेढ़ घंटे का वीडियो भी बनाया।

कानूनों का सहारा लेकर एक लड़की ने पूरा परिवार तबाह कर दिया

अतुल ने अपने वीडियो में बताया कि उनकी मौत के लिए उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साला अनुराग सिंघिया उर्फ पीयूष सिंघानिया, चचेरा ससुर सुशील सिंघानिया जिम्मेदार है। अतुल के वीडियो को सुनकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे एक लड़की ने कानूनों का उपयोग करके कैसे एक हँसते खेलते परिवार को तबाह कर दिया। बता दें कि अतुल पर बीते 2 साल में 9 केस, 120 तारीखें लगी और
और पत्नी ने 3 करोड़ का गुजारा भत्ता माँगा था।

आत्महत्या रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर

Vijaya Raje Scindia: भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक ग्वालियर की राजमाता विजयराजे सिंधिया का कभी कांग्रेस से नाता था। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से ही की थी। दरअसल, साल 1957 में कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद वे गुना से सांसद चुनी गई। लेकिन, कांग्रेस में दस साल बिताने के बाद साल 1967 में उनका मोहभंग हो गया और उन्होंने इसी वर्ष जनसंघ से नाता जोड़ लिया।

बचपन में बरमान घाट की दीवानी थी

यहां बचपन में लाव-लश्कर के साथ आती थीं महारानी। चित्र: सोशल मीडिया

राजमाता के बारे में कहा जाता हैं कि जबलपुर से तक़रीबन 125 किलोमीटर दूर करेली-सागर मार्ग पर बसे बरमान घाट (ब्रह्मांड घाट) की वे बचपन में मुरीद थीं। दरअसल, ब्रह्मांड घाट का अपभ्रंश ही बरमान घाट है। यहां के कुदरती नजारों के मोह में महारानी विजयराजे सिंधियां बचपन में पूरे लाव-लश्कर के साथ महीनों बिताती थीं। बरमान घाट से सिंधिया घराने का विशेष मोह था, इसीलिए यहां रानी कोठी बनवाई गई थीं।

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इंदिरा लहर में भी चला जादू

ग्वालियर क्षेत्र में 3 सीटें जिताई। चित्र: सोशल मीडिया

राजमाता विजया राजे सिंधिया महाराजा जिवाजीराव सिंधिया की पत्नी के रूप में ही नहीं, बल्कि अपनी एक अलग शख़्सियत की वजह से भी वे जानी जाती थीं। वे ऐसी राजनीतिक शख़्सियत थीं, जो कई दफा संसद के दोनों सदनों में चुनी गई। साल 1967 में कांग्रेस से अपना नाता तोड़ने के बाद वे जनसंघ की सदस्य बन गई। इसके बाद वे बीजेपी के संस्थापकों में से एक बनीं। वे राजनीतिक क्षेत्र की कितनी बड़ी शख़्सियत थीं, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता हैं कि साल 1971 में इंदिरा गांधी की लहर के बावजूद उन्होंने जनसंघ को ग्वालियर क्षेत्र की तीन सीटों पर जीत दिलाई। उस साल विजयाराजे सिंधिया, उनके पुत्र माधवराव सिंधिया और अटल बिहारी वाजपेयी क्रमशः भिंड, गुना और ग्वालियर से सांसद चुने गए।

कभी बेटे माधवराव सिंधिया से थे प्रगाढ़ संबंध

नामचीन पॉलिटिकल एनालिटिक्स रशीद किदवई ने अपनी प्रसिद्ध किताब द हाउस ऑफ़ सिंधियाज-ए सागा ऑफ़ पावर, पॉलिटिक्स एंड इन्ट्रीग (The House of Scindias: A Saga of Power, Politics and Intrigue) में बताया कि एक समय राजमाता विजयाराजे सिंधिया और उनके बेटे माधवराव सिंधिया में बेहद प्रगाढ़ संबंध थे। वे बताते हैं कि एक समय माधवराव, अपनी महिला मित्रों के बारे में अपनी मां विजयाराजे सिंधिया को ही बताया करते थे। राजमाता सिंधिया खुद अपनी बायोग्राफी प्रिंसेज़ में लिखती हैं कि भैया (माधवराव सिंधिया) और मैं फ्रेंड्स की तरह थे। एक मर्तबा वे (माधवराव) मेरे होटल में आए और मुझसे रात दो बजे तक खुलकर बातें करते रहे। मुझे अपनी महिला मित्रों के बारे में बताते रहे।

बाद में माँ-बेटे में बढ़ गई तल्ख़िया

बाद में माँ बेटे में बढ़ गई दूरियां। चित्र सोशल मीडिया

इतने प्रगाढ़ संबंध होने के बाद भी महारानी और माधवराव के संबंध कैसे बिगड़ गए इस बारे में 30 सिंतबर 1991 के इंडिया टुडे के अंक में फेमस जर्नलिस्ट एनके सिंह का एक आर्टिकल डॉमेस्टिक बैटल बिटवीन विजयराजे एंड माधवराव सिंधिया छपा था। जिसमें वे लिखते हैं कि माधवराव ने मुझे एक दफा बताया था कि उनके और मां के संबंध में कड़वाहट साल 1972 में आना शुरू हो गई थीं। उनका कहना था कि जब मैंने जनसंघ का साथ छोड़कर कांग्रेस में जाने की बात कही तो यह बात उन्हें नागवार गुजरी। साथ ही माधवराव ने यह भी माना कि ऑक्सफ़र्ड जैसी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करके भारत आकर जनसंघ का मेंबर बनना उनकी सबसे बड़ी भूल थीं। इसी लेख में सिंह आगे लिखते हैं कि ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के दिवंगत सरदार संभाजी राव आंग्रे का इस बारे में अलग मत था। उनका मानना था कि साल 1972 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनसंघ हार गई थी, लिहाजा माधवराव ने जनसंघ का साथ छोड़ दिया था।

 

https://www.youtube.com/watch?v=Z3WIjYcBEXk&t=5s

Hindu communities in Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। कहीं प्रदर्शन हो रहा है तो कहीं बांग्लादेशी नेताओं के पुतले फूंके जा रहे हैं। देशभर में लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस मामले में भारत सरकार कड़े कदम उठाए।

वहीं, अब मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर का मुस्लिम समुदाय भी बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध उतर आया है। अपनी गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए विख्यात इंदौर में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के द्वारा इस मुद्दे को लेकर बांग्लादेश का विरोध किया गया। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री के नाम डिप्टी कमिश्नर सपना लोवंशी को ज्ञापन देकर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।


पिछले महीने ढाका में सरकार के पक्ष और विरोधियों में झड़प हो गई थी। चित्र: सोशल मीडिया

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील खान ने बताया कि बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही है। इसको लेकर देशवासियों के मन में आक्रोश हैं। वर्तमान समय में देखने में आ रहा है कि समूचे विश्व में क़त्ल-ए-‘आम मचा हुआ है। भारत के पड़ोसी मुल्को में भी राजनीतिक अफरा-तफरी का माहौल है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का दमन कर उन पर अत्याचार किया जा रहा है।

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कभी बांग्लादेश, भारत से अच्छे संबंधों के लिए जाना जाता था। लेकिन तख्ता पलट के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसक घटनाओं में बढ़ोतरी हुई हैं। जिससे वहां के अल्पसंख्यक हिन्दुओं को दबाया और कुचला जा रहा है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच इन सभी घटनाओ का विरोध करता है। अकील खान ने बताया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत की राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा है।

विश्व हिंदू परिषद् के कार्यकर्ता भी कर रहे हैं देशभर में प्रदर्शन। चित्र: सोशल मीडिया

साथ ही हम सरकार से मांग करते हैं कि अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा के लिए भारत से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल बांग्लादेश पहुंचाया जाए और बांग्लादेश सरकार से बात करके वहां शांति सेना पहुंचाई जाए। वहां हो रहे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को खत्म कर उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से जीवन गुज़ारने का रास्ता प्रदान किया जाए।

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https://www.youtube.com/watch?v=9jL7Wv8OvdQ

Khan Sir BPSC: सोशल मीडिया पर सबसे चर्चित कोचिंग संचालकों में शामिल खान सर (Khan Sir) एक बार चर्चा में हैं। आज सुबह से ही वे सोशल मीडिया साइट एक्स पर “#खान_सर_को_रिहा_करो” हैशटैग के साथ ट्रेंड कर रहे हैं। ऐसे में क्या यह सही खबर हैं कि खान सर को बिहार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

दरअसल, खान सर शुक्रवार को बिहार में बीपीएससी परीक्षार्थी नॉर्मलाइजेशन के विरोध में धरने पर बैठे छात्रों के साथ दिखाई दिए थे। आज सुबह उनके गिरफ्तार होने की खबर आ रही हैं। इससे पहले खान सर विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी होने पर छात्रों के साथ आवाज उठाने और विरोध प्रदर्शन करके सुर्ख़ियों में आ चुके हैं।

पटना पुलिस ने किया गिरफ्तार

आज खबर आई कि खान सर को बीपीएससी परीक्षार्थी नॉर्मलाइजेशन के विरोध में धरने पर बैठे छात्रों के लिए आवाज उठाने की वजह से उन्हें पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह जानकारी खान सर के कोचिंग खान ग्लोबल स्टडीज के ऑफिशियल अकाउंट से दी गई है। लिहाजा छात्रों में काफी रोष देखा जा रहा है और वे खान सर को रिहा करने की मांग कर रहे हैं।

पटना पुलिस का दावा, खान सर खुद पुलिस स्टेशन आए

इधर, पटना पुलिस ने खान सर को हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने वाले आरोप को नकार दिया है। पटना के एसएसपी राजीव मिश्रा ने कहा कि खान सर को न हिरासत में लिया गया है और न ही उन्हें गिरफ्तार किया गया है। मिश्रा का कहना हैं कि खान सर स्वयं ही पुलिस स्टेशन पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि खान सर उन छात्रों के लिए पुलिस स्टेशन आए थे, जिन्हें पटना पुलिस ने हिरासत में लिया है। साथ ही पटना पुलिस ने खान ग्लोबल स्टडीज के ट्वीट को भी गलत ठहराया है। पटना पुलिस का कहना है कि खान सर की जब गिरफ़्तारी ही नहीं हुई तो उनकी रिहाई कैसे हो सकती है।

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Pushpa 2 Box Office Collection : पुष्पा 2 ने पहले दिन तोड़े कमाई के सारे रिकॉर्ड

ENTERTAINMENT DESK: अल्लू अर्जुन की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘पुष्पा 2: द रूल’ ने पहले ही दिन बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार कमाई करते हुए रिकॉर्ड तोड़ डाले। फिल्म की रिलीज से पहले ही जबरदस्त हाइप थी,और दर्शकों का यह उत्साह बॉक्स ऑफिस पर साफ झलक रहा है।

पहले दिन की कुल कमाई

फिल्म ने पहले दिन 165 करोड़ रुपये का ग्रैंड ओपनिंग कलेक्शन किया,जिससे यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी ओपनर फिल्म बन गई।

भाषा के अनुसार कलेक्शन

1. तेलुगु: 85 करोड़ रुपये
2. हिंदी: 67 करोड़ रुपये
3. तमिल: 7 करोड़ रुपये
4. मलयालम: 5 करोड़ रुपये
5. कन्नड़: 1 करोड़ रुपये

फिल्म की सफलता के मुख्य कारण

1. अल्लू अर्जुन का स्वैग
अल्लू अर्जुन की शानदार परफॉर्मेंस और उनकी ऑन-स्क्रीन उपस्थिति ने दर्शकों को बांधे रखा।

2. प्री-रिलीज हाइप
फिल्म के पोस्टर, ट्रेलर, और गानों ने पहले ही बड़े पैमाने पर चर्चा बटोरी थी।

3. एडवांस बुकिंग का क्रेज
रिलीज से पहले ही फिल्म की एडवांस बुकिंग जबरदस्त थी, जिससे शो हाउसफुल रहे।

4. रातभर शो
फैंस के उत्साह को देखते हुए कई जगहों पर देर रात तक के शो रखे गए।

5. पहले पार्ट की सफलता
‘पुष्पा: द राइज’ की ब्लॉकबस्टर सफलता के बाद दर्शकों का इंतजार और भी बढ़ गया था।

‘पुष्पा 2’ का प्रभाव

फिल्म ने पहले दिन ही कई बड़ी फिल्मों के ओपनिंग डे के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इसकी धमाकेदार शुरुआत को देखते हुए, यह फिल्म लंबे समय तक बॉक्स ऑफिस पर राज करने वाली है।

आने वाले दिन का अनुमान

– वीकेंड पर फिल्म की कमाई और भी तेज होने की उम्मीद है।
– यह फिल्म आसानी से 500 करोड़ रुपये के क्लब में शामिल हो सकती है।

‘पुष्पा 2’ ने साबित कर दिया है कि अल्लू अर्जुन का स्टारडम और सुकुमार का निर्देशन भारतीय सिनेमा में नया इतिहास लिखने के लिए तैयार है।

NEW DELHI: मशहूर यूपीएससी कोच और सोशल मीडिया पर लोकप्रिय टीचर अवध ओझा ने आम आदमी पार्टी (AAP) का दामन थाम लिया है।

कौन हैं अवध ओझा?

अवध ओझा उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के रहने वाले हैं । वे अपनी अनोखी और रोचक पढ़ाने की शैली के लिए प्रसिद्ध हैं । ओझा सर के नाम से लोकप्रिय, उनके पढ़ाने के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते हैं और लाखों छात्र उनसे प्रेरणा लेते हैं।

केजरीवाल का बयान

अरविंद केजरीवाल ने अवध ओझा के पार्टी में शामिल होने पर कहा:
“ओझा सर का अनुभव केवल पार्टी को नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र को भी बड़ा लाभ पहुंचाएगा। उनकी शिक्षण पद्धति और सोच हमारे एजुकेशन मॉडल को और मजबूत करेगी।”

दिल्ली से लड़ सकते है चुनाव

सूत्रों के मुताबिक, अवध ओझा को दिल्ली विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है। हालांकि, सीट को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस बारे में जब उनसे सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा,
“मैं पार्टी के निर्देशों का पालन करूंगा। चुनाव लड़ने को लेकर जो भी फैसला लिया जाएगा, वह पार्टी की रणनीति पर निर्भर करेगा।”

राजनीतिक पारी की शुरुआत

अवध ओझा के AAP में शामिल होने के बाद उनकी राजनीति में सक्रिय भूमिका तय मानी जा रही है। उनके आने से पार्टी को न केवल शिक्षण क्षेत्र में मजबूती मिलेगी, बल्कि चुनावी समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है।

अवध ओझा का आम आदमी पार्टी में शामिल होना शिक्षा और राजनीति के संगम का संकेत है। उनकी लोकप्रियता और विचारधारा दिल्ली चुनाव में AAP के लिए एक मजबूत रणनीतिक कदम साबित हो सकती है।

MUMBAI: बॉलीवुड अभिनेता विक्रांत मैसी, जो हाल ही में अपनी फिल्म साबरमती रिपोर्ट को लेकर सुर्खियों में थे, ने अपने फैंस और इंडस्ट्री को चौंकाते हुए फिल्मी दुनिया से संन्यास लेने का ऐलान किया है। विक्रांत ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस निर्णय की जानकारी दी, जिसमें उन्होंने धमकियों और निजी कारणों का जिक्र किया।

‘साबरमती रिपोर्ट’ पर विवाद

विक्रांत की हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म साबरमती रिपोर्ट को लेकर उन्हें धमकियां मिल रही थीं। यह फिल्म अपने संवेदनशील विषय के कारण विवादों में घिरी रही। विक्रांत ने बताया कि इन धमकियों के चलते वह मानसिक रूप से परेशान थे,और यही उनकी इस चौंकाने वाली घोषणा का एक बड़ा कारण है।

इंस्टाग्राम पोस्ट में क्या कहा?

विक्रांत ने इंस्टाग्राम पर अपनी भावुक पोस्ट में लिखा:
“आप सभी का प्यार और समर्थन पाकर मैं हमेशा ऋणी रहूंगा। लेकिन अब समय आ गया है कि मैं खुद पर ध्यान दूं और अपने परिवार के साथ समय बिताऊं। एक पिता,पति और बेटे के रूप में उनकी देखभाल करना मेरी प्राथमिकता है। मेरी दो फिल्में 2025 में रिलीज़ होंगी,जो इंडस्ट्री में मेरी आखिरी उपस्थिति होंगी। आप सबका धन्यवाद।”

टीवी से बॉलीवुड तक का सफर

विक्रांत मैसी ने अपने करियर की शुरुआत 2007 में टीवी शो धूम मचाओ धूम से की थी। बालिका वधू में श्याम सिंह का किरदार निभाकर उन्होंने घर-घर में पहचान बनाई। इसके बाद, 2013 में रणवीर सिंह की फिल्म लुटेरा से उन्होंने बड़े पर्दे पर कदम रखा।

उनका असली स्टारडम 2023 में आई फिल्म 12th फेल से आया,जिसने न केवल बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई की बल्कि विक्रांत को एक बड़े कलाकार के रूप में स्थापित किया।

फैंस के लिए आखिरी मुलाकात

विक्रांत ने अपने पोस्ट में बताया कि उनकी आखिरी दो फिल्में 2025 में रिलीज़ होंगी। फैंस के लिए यह उनकी आखिरी ऑन-स्क्रीन उपस्थिति होगी।

विक्रांत मैसी का यह फैसला उनके फैंस और फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका है। अपनी फिल्मों और अभिनय से उन्होंने लाखों दिल जीते हैं। हालांकि, उनका यह कदम उनके परिवार और व्यक्तिगत शांति की ओर संकेत करता है। इंडस्ट्री और फैंस उनके इस फैसले का सम्मान करते हुए उनकी भविष्य की जिंदगी के लिए शुभकामनाएं दे रहे हैं।

Reel Addiction: बच्चे, व्यस्क, बूढ़े, लड़का-लड़की, महिला-पुरुष ये सभी उम्र या जेंडर में भले ही अलग हो, लेकिन इनमें एक चीज कॉमन हैं। जी हां, इन सभी में रील का नशा एक जैसा है। स्मार्टफोन आने के बाद से देश में रील एडिक्शन महामारी तेजी से पहली है। गांव हो या शहर सभी जगहों पर लोगों में इनदिनों रील का नशा बढ़ता जा रहा। दूसरे नशों का खुमार तो एक समय बाद उतर जाता है, लेकिन रील बनाने का नशा लोगों में उतरने को तैयार नहीं है। सोशल मीडिया और ख़बरों के जरिए रोज़ाना पता चलता हैं कि रील के चक्कर फलाने का हाथ टूट गया, पैर कट गया या मौत हो गई। बावजूद लोगों में रील बनाने का नशा नहीं उतर रहा है। रील्स में हर उम्र के लोग पागल हो चुके हैं। हम कोरोना महामारी से निजात पा चुके हैं, लेकिन रील्स बनाने की ‘महामारी’ से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल हैं कि रील’मय’ इंडिया का ये ख़ुमार कब उतरेगा।

रील बनाने के चक्कर में कई रील’वीरों’ की मौत

रील के चक्कर में अब तक कई रील’वीरों’ की मौत हो चुकी हैं। इसके बावजूद यह नशा उतरने को तैयार नहीं हैं। वैसे रील के चक्कर में हजारों लोग जान गंवा चुके हैं, लेकिन कुछ घटनाएं आपको अंदर तक झकझोर कर देगी।

आगरा में गर्दन धड़ से अलग हो गई

20 वर्षीय आसिफ सर्राफा में काम करता था। चित्र: सोशल मीडिया

यूपी के आगरा में एक रील बनाने के चक्कर में अपनी गर्दन ही धड़ से अलग करवा लेता है। इस दुखद घटना में उसकी जान चली जाती है। दरअसल, यहां के कोतवाली थाना स्थित ताजगंज निवासी 20 वर्षीय आसिफ सर्राफा में काम करता था। वह अपने दोस्तों के साथ चौथी मंजिल पर रील बना रहा था। इस दौरान उसने छत पर लगी जाली को उठाया और उसका पैर फिसल गया व नीचे आ गिरा। जिसमें उसकी गर्दन धड़ से अलग हो गई और मौत हो गई।

इटावा में ट्रैन की चपेट में आ गए

दोनों की मौत से गांव हिरणपुर में मातम छा गया। चित्र: सोशल मीडिया

इसी तरह इटावा में दो दोस्त रील बनाने के चक्कर में कानपुर से दिल्ली जा रही चंपारण हमसफर एक्सप्रेस की चपेट में आ गए और जान गंवा बैठे। मृतकों के नाम अनुज कुमार गोयल (20 वर्षीय ) पुत्र भूरे सिंह और उसका दोस्त रंजीत (16 वर्षीय ) पुत्र दशरथ सिंह हैं। इसके बाद उनके गांव हिरणपुर में मातम छा गया।

बदायूं में रिक्शा चालक ने जान गंवाई

बिजली के खंभे से सिर टकराकर रिक्शा चालक की मौत। चित्र: सोशल मीडिया

मोबाइल से रील के चक्कर में बदायूं के उझानी थाना क्षेत्र में एक ऑटो चालक जान गंवा बैठा। दरअसल, ऑटोवाला अपना सिर हाईवे किनारे बाहर निकालकर रील बना रहा था। तभी बिजली के खंभे से सिर टकरा गया। अस्पताल में उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

औरंगाबाद में 300 फीट गहरी खाई से कार गिरी 

संभाजीनगर की रहने वाली 23 वर्षीय श्वेता की मौत। चित्र: सोशल मीडिया

यह घटना महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित खुलताबाद तालुका के शूलीभंजन स्थित एक मंदिर के पास का हैं। यहां संभाजीनगर की रहने वाली 23 वर्षीय श्वेता अपने दोस्त के साथ गाड़ी चलाते हुए रील बना रही थी। इसी दौरान उसने ब्रेक की जगह एक्सीलेटर पर पैर रख दिया और कार 300 फीट गहरी खाई में गिर गई और उसकी मौत हो गई।

गुना में युवक ने डैम छलांग लगाई, मौत

गुना में एक युवक ने रील के चक्कर में डैम में छलांग लगा दी। चित्र: सोशल मीडिया

इसी तरह मध्य-प्रदेश के गुना में एक युवक ने रील के चक्कर में डैम में छलांग लगा दी। युवक डैम में तो कूदा लेकिन बाहर नहीं निकला। इसके बाद अगले दिन उसका शव बरामद किया गया। युवक महज एक रील बनाने के चक्कर में अपनी जान गंवा बैठा।

अलवर में स्टंट के चक्कर गंवाई जान

फ्लाईओवर पर बाइक से स्टंटबाजी में दो युवकों की मौत। चित्र: सोशल मीडिया

राजस्थान के अलवर में दो दोस्तों ने रील बनाने के चक्कर में फ्लाईओवर पर बाइक से स्टंटबाजी की। इस घटना में दोनों की मौत हो गई। मृतक के नाम निशांत और दीपक सैनी हैं, जो कि राजगढ़ से जयपुर जा रहे थे। इसी दौरान रील बनाने लगे और यह हादसा हो गया।

महाराष्ट्र में इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर की मौत

इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर की मौत। चित्र सोशल मीडिया

यहां के रायगढ़ के पास कुंभे वॉटर फॉल में रील के चक्कर में एक इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर की मौत हो गई। दरअसल, मुंबई की रहने वाली 26 साल की अनवी कामदार अपने दोस्तों से रील बनवा रही थी। इसी दौरान उसका पांव फिसला और वह 300 फीट गहरी खाई में गिर गई। जिसमें उसकी मौत हो गई।

पश्चिम चंपारण दो दोस्तों की मौत

बेतिया में दो दोस्तों की डूबने से मौत हो गई। चित्र: सोशल मीडिया

यहां के बेतिया में छरदवाली तिवारी टोला के रहने वाले सचिन कुमार (15) पिता मोहन यादव और प्रिंस कुमार (16) पिता जयप्रकाश सिंह नदी में छलांग लगाकर रील बना रहे थे। तभी दोनों कि डूबने से मौत हो गई।

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