Indore News: मां अहिल्या की समता, संवेदना, न्यायप्रियता और वत्सलता से सराबोर इंदौर देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक विख्यात है। लेकिन अब ‘गजवा-ए-हिंद’ और ‘भगवा-ए-हिन्द’ के नाम पर इसे झुलसाने की पुरजोर साजिश की जा रही है। इंदौर का कभी ‘चूड़ीवाले’ तो कभी ‘चाटवाले’ के नाम पर सांप्रदायिक हिंसा के लिए उकसाये जाने का पुराना इतिहास रहा है।

अब देश के दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर को ‘गजवा-ए-हिंद’ और ‘भगवा-ए-हिन्द’ के कथित पोस्टरों के जरिए सांप्रदायिकता की लू से झुलसाने की गहरी साजिश हो रही है। दरअसल, पिछले दिनों इंदौर की एक मस्जिद पर लगे ‘गजवा-ए-हिंद’ के पोस्टर से पूरे शहर में हल्ला मच गया था। बाद में बढ़ते विवाद के चलते इस पोस्टर को मस्जिद हटा लिया गया था।

अब ये विवाद थमा भी नहीं था कि अब शहर के ‘एजुकेशन हब’ कहे जाने वाले भंवरकुआ क्षेत्र में हिंदूवादी संगठन सक्रिय हो गए हैं। यहां उन्होंने यहां ‘बटेंगे तो कटेंगे,एक है तो सेफ है’ जैसे राजनीतिक नारों के साथ ‘भगवा-ए-हिन्द’ के पोस्टर लगाए।

 

 

घर के आंगन तक पहुंच गए पोस्टर


भंवरकुआ क्षेत्र में हिंदूवादी संगठनों ने ‘भगवा-ए-हिन्द’ के पोस्टर लगाए। चित्र: सोशल मीडिया

शहर में यह पोस्टर मंदिर-मस्जिद से होकर घर के आंगन तक पहुंच गए है। ‘भगवा-ए-हिन्द’ के पोस्टर हिन्द राष्ट्र संगठन नामक संस्था ने लगाए है, जिन्हें कई घरों के आंगन की दीवारों पर आसानी से देख सकते है। इस मामले में संगठन के प्रदेशाध्यक्ष राजेश शिरोडकर का गैर जिम्मेदार बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ”शहर में गजवा-ए-हिंद नजर आए थे, लिहाजा हिंदू परिवारों को जागरूक और संगठित करने के लिए हमने एक है तो, सेफ के नारों के स्लोगन के साथ यह पोस्टर घर के आंगनों के बाहर चिपकाए हैं।” शिरोडकर आगे कहते हैं ”इन नारों के कारण अब हिंदू परिवार जागृत हो रहा है। अब तक हमने एक कॉलोनी में यह पोस्टर लगाए हैं। शनैः शनैः शहर की अन्य काॅलोनियों के निवासियों को भी इस तरह के पोस्टर बांटे जाएंगे।”

पुलिस गैर जिम्मेदाराना बयान

जब शहर में ‘भगवा-ए-हिन्द’ के पोस्टर लगने की जानकारी पहुंची तो आला अफसरों का गैर जिम्मेदाराना बयान सामने आया है। अमर उजाला की ख़बर के मुताबिक, कथित मामले में पुलिस का कहना हैं कि ‘हमारे पास कोई शिकायत नहीं आई है। लोगों ने अपनी इच्छा से यह पोस्टर लगाए हैं।’

भाजपा की साजिश

वहीं, उक्त मामले में कांग्रेस ने इसे भाजपा की गहरी साजिश करार दिया है। वेबदुनिया से मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेठी के पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव ने कहा कि समय समय पर सांप्रदायिक ताकतों द्वारा शहर को झुलसाने की साजिश की जाती रही हैं और अब भी यही कोशिश हैं। इसमें बीजेपी समर्थक संगठन और कुछ संदिग्ध व्यक्ति शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश और इंदौर की जनता शांति और सांप्रदायिक सद्भावना के साथ रहना चाहती हैं। लेकिन मामले से बीजेपी समर्थक संगठनों के जुड़े होने से यह साबित होता है कि इसमें उसका गहरा षड्यंत्र हैं।

गांधी के विचारों से चलेगा देश

राकेश सिंह ने कहा कि यह देश गांधी का है, इसलिए यह ‘भगवा-गजवा’ के बजाय गांधी के विचारों से चलेगा। शहर में ऐसी फिरकापरस्त ताकतों पर सरकार को कड़ा एक्शन लेना चाहिए। ऐसे पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके रासूका की कार्यवाही करना चाहिए। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से पोस्टर भी शेयर किया हैं, जिसमें लिखा हैं ‘न गजवा-ए-हिंद, न भगवा-ए-हिंद, देश को चाहिए गांधी-ए-हिंद।’ साथ उन्होंने कहा कि कांग्रेस तिरंगे की शान को कम करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देगी।

लोकमाता अहिल्या की प्रतिष्ठा दांव पर

फिरकापरस्त ताकतों की इन हरकतों ने लोकमाता अहिल्या देवी की प्रतिष्ठा को भी धूमिल कर दिया। वे समता, सांप्रदायिक सद्भावना, न्याय और वात्सल्य की देवी थीं। उन्होंने देशभर में न सिर्फ तीर्थों, बारह ज्योतिर्लिंगों, चारों धामों, मंदिरों आदि का पुनरुद्धार, अन्न क्षेत्र का आरंभ,नदियों पर बांधों का निर्माण, वृक्षारोपण, धर्मशालाओं, सड़कें व बावड़ियों के निर्माण के साथ मस्जिदों तथा पीर दरगाहों को भी मदद की।

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 “आपको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक समुद्र है, यदि समुद्र की कुछ बूंदें सूख जाती हैं तो            समुद्र मैला नहीं होता।” -महात्मा गांधी

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Cyber ​​fraud in Indore: इंदौर में एक महिला कारोबारी को डिजिटल अरेस्ट में रखकर 1.60 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का मामला सामने आया है। पीड़िता ने साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है। ठगों ने खुद को ईडी और सीबीआई अधिकारी बताकर महिला को धमकाया और मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर पैसे ट्रांसफर करवा लिए।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा

साइबर सेल के अनुसार, घटना वंदना गुप्ता (40) के साथ हुई, जो राठी ग्रुप में कार्यरत हैं और शेयर-कमोडिटी व्यापार करती हैं। वंदना ने बताया कि 9 से 11 नवंबर के बीच उन्हें वीडियो कॉल आए। कॉल करने वालों ने खुद को ईडी के अधिकारी बताया और कहा कि उनके खातों में अवैध ट्रांजेक्शन हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि यह मनी लॉन्ड्रिंग केस है और इसमें पकड़े गए नरेश गोयल ने उनके खाते में पैसे ट्रांसफर करने की बात कबूल की है।

इसके बाद ठगों ने बैंक खातों की जानकारी मांगी और “वेरिफिकेशन” के नाम पर वंदना को डरा-धमकाकर 1.60 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए।

एफडी तोड़कर भी ठगे पैसे

वंदना ने बताया कि डर के कारण उन्होंने अपनी 1 करोड़ रुपये की एफडी तुड़वाई और वह रकम भी ठगों को ट्रांसफर कर दी। ठगों ने बाद में गोल्ड लोन लेने का दबाव भी बनाया।

डिजिटल अरेस्ट का 65वां मामला

पिछले तीन महीनों में इंदौर में डिजिटल अरेस्ट का यह 65वां मामला है। इस तरह के मामलों में ठग खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और फिर उनकी आर्थिक जानकारी लेकर धोखाधड़ी करते हैं।

कैसे खुलासा हुआ

वंदना को ठगी का शक तब हुआ जब ठगों ने बार-बार गोल्ड लोन लेने का दबाव बनाना शुरू किया। उन्होंने अपने परिवार से बात की और तुरंत नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद इंदौर क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच शुरू की।

पुलिस की अपील

इंदौर साइबर सेल ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसे कॉल्स से सावधान रहें और अपनी बैंक जानकारी किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ साझा न करें। डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों में फंसने से बचने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है।

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INDORE: मध्यप्रदेश के इंदौर से दो दिन पहले लापता हुई 6 साल की बच्ची का शव शहर के राजेंद्र नगर इलाके के बिजलपुर में स्थित नाले से बरामद किया गया है । बच्ची अपने दादा-दादी से मिलने के लिए गुजरात से इंदौर आई थी और यहां घर के पास स्थित गार्डन में खेल रही थी,तभी वह अचानक गायब हो गई थी ।
पुलिस ने शव का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है । मामले की जांच जारी है ।

डीसीपी विनोद मीणा ने दी जानकारी

इंदौर के डीसीपी विनोद मीणा ने बताया कि घटना के बाद से पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच की है,जिसमें बच्ची अकेली नजर आ रही है। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में बच्ची के शरीर पर किसी प्रकार के चोट के निशान नहीं मिले हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत की सही वजह का पता चल सकेगा।

गायब होने के बाद नाले तक कैसे पहुंची बच्ची

डीसीपी मीणा ने कहा कि बच्ची गार्डन में खेलने के लिए घर से बाहर निकली थी,लेकिन वह नाले तक कैसे पहुंची,इसकी जांच की जा रही है। आसपास के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए हैं, लेकिन बच्ची के आसपास कोई संदिग्ध नजर नहीं आया।

परिजनों और स्थानीय निवासियों का आक्रोश

बच्ची के शव के मिलने के बाद परिवार और स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया है। परिजनों ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। पुलिस ने सभी पहलुओं पर ध्यान देते हुए जांच जारी रखने की बात कही है। मामले की तफ्तीश पूरी तरह से चल रही है,और पुलिस सभी एंगल से जांच कर रही है ताकि घटना की सच्चाई सामने आ सके ।

INDORE: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री गुरुवार को इंदौर पहुंचे यहाँ उन्होंने मीडिया से चर्चा की इस दौरान उन्होंने बताया की इंदौर से बीआरटीएस (BRTS ) हटाया जाएगा । इसकी शिकायते उन्हें मिल रही थी,पब्लिक भी इससे परेशान हो रही थी । इंदौर में बीआरटीएस हटाने की घोषणा सीएम डॉक्टर मोहन यादव द्वारा की गई है । उनका कहना है की जनप्रतिनिधियों की मांग पर यह फैसला लिया गया है । सरकार अदालत में अपना पक्ष रखेगी ।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट लेगी फैसला

इंदौर में BRTS हटाने या ना हटाने का मामला एमपी हाईकोर्ट में है सीएम ने सरकार की और से अदालत में इस मामले में अपना पक्ष रखने की भी बात कही है । इंदौर बीआरटीएस को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में जनहित याचिकाएं लगी है । इंदौर में 11. 5 किमी लंबा बीआरटीएस बना हुआ है ।
यह निरंजनपुर से राजीव गाँधी प्रतिमा तक है ।

मध्यप्रदेश में इंदौर ही एकमात्र शहर जहाँ बीआरटीएस

इंदौर में वर्ष 2013 से बीआरटीएस की शुरुवात हुई थी फिलहाल प्रदेश में इंदौर ही एकमात्र ऐसा शहर है जहाँ बीआरटीएस है । शहर में निरंजनपुर से लेकर राजीव गाँधी चौराहे तक 11. 5 किलोमीटर लंबा बीआरटीएस मौजूद है जिसमें कुल 20 बस स्टॉप आते है और 49 बसों का संचालन किया जा रहा है ।

इंदौर में 300 करोड़ की लागत से बना है बीआरटीएस

इंदौर शहर में वर्ष 2013 में 300 करोड़ की लागत से बना था बीआरटीएस । बस के लिए अलग लेन बनाने का लोगो के द्वारा विरोध भी किया गया था फिलहाल यह मामला हाईकोर्ट में है । इंदौर में जवाहर लाल शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत इस प्रोजेक्ट के तहत राशि दी गई थी ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

INDORE:  इंदौर पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है । पुलिस ने फर्जी सीबीआई और ईडी अधिकारियों के रूप में लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है । ये दोनों आरोपित ठगों को खातों की सप्लाई करने के लिए डेढ़ प्रतिशत कमीशन पर काम करते थे । पुलिस ने जब जांच की तो एक खाते से करीब एक करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन पाया ।

गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार

डिजिटल अरेस्ट मामले की जांच कर रही अपराध शाखा ने गुजरात के दो अपराधियों को गिरफ्तार किया है । ये दोनों फर्जी सीबीआई और ईडी अफसर बनकर पूरे देश में ठगी कर रहे थे । इस गिरोह ने एक 71 वर्षीय वृद्ध से 40 लाख 70 हजार रुपये की ठगी की थी ।

फर्जी सीबीआई अधिकारी का फोन आया

एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया के मुताबिक, शिवधाम कॉलोनी, खंडवा रोड के रहने वाले एक वृद्ध के मोबाइल पर वॉट्सएप कॉल आई। कॉल करने वालों ने खुद को बांद्रा मुंबई पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताकर कहा कि उनके बैंक खाते में 2 करोड़ 60 लाख रुपये का अवैध ट्रांजेक्शन हुआ है। इसके बदले उन्हें 15 प्रतिशत कमीशन भी दिया जाएगा। आरोपितों ने वृद्ध को फर्जी सुप्रीम कोर्ट का आदेश और गिरफ्तारी से संबंधित दस्तावेज भेजे।

फर्जी दस्तावेजों का खेल

वृद्ध ने बताया कि उनका मुंबई में कोई खाता नहीं है और न ही उन्हें कोई कमीशन मिला है। फिर भी आरोपितों ने धमकाया कि बैंक अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया है और अब सीबीआई की टीम उनसे पूछताछ करने आ रही है। इसके बाद आरोपितों ने वृद्ध से फर्जी सीबीआई अधिकारी आकाश कुलकर्णी से बात करवाई और डिजिटल अरेस्ट करने का झांसा दिया। अंत में, वृद्ध के खातों से 40 लाख 70 हजार रुपये की ठगी कर ली। डर के मारे वृद्ध ने अपनी एफडी के पैसे भी आरोपितों को दे दिए।

ठगी का एहसास होने पर वृद्ध ने की शिकायत

ठगी का शिकार होने के बाद वृद्ध ने एनसीआरबी पोर्टल पर शिकायत की। पुलिस ने मामले की जांच करते हुए मंगलवार रात आरोपितों हिम्मत भाई देवानी और अतुल गिरी गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया, दोनों सूरत, गुजरात के निवासी हैं।

आरोपितों ने कबूला डेढ़ प्रतिशत कमीशन पर खातों की सप्लाई

पूछताछ में आरोपित हिम्मत भाई ने बताया कि वह कपड़ों की कारीगरी करता है और उसकी एक व्यक्ति से वॉट्सएप पर मुलाकात हुई थी, जिसने उसे खातों के बदले डेढ़ प्रतिशत कमीशन देने का वादा किया था। हिम्मत ने इस काम के लिए अतुल से फर्जी खाते लिए थे। पुलिस ने जांच में पाया कि इन खातों में एक करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ था।

क्या करें अगर आपको भी इस तरह का फोन आए

डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाओं के बढ़ते मामलों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी जांच एजेंसी, पुलिस या अन्य सरकारी संगठन डिजिटल अरेस्ट नहीं करते। अगर आपको इस तरह का फोन आए तो घबराएं नहीं, तुरंत फोन काटकर राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर इसकी सूचना दें। इसके अलावा, आप अपनी शिकायत cybercrime.gov.in पर भी दर्ज करवा सकते हैं । कृपया ध्यान रखें और सतर्क रहें, ताकि आप भी इस तरह के ठगी का शिकार न हो जाएं

इंदौर में मेघदूत चौपाटी से दुकाने हटना शुरू हुई, नगर निगम ने की मुनादी

 

Indore News: मेघदूत चौपाटी पर मेट्रो स्टेशन के निर्माण के लिए स्थान निर्धारित करने और वहां से गुमटियां हटाने का काम पिछले कई दिनों से जारी था । कल शाम नगर निगम के रिमूवल टीम ने पीली जीपों से पूरी चौपाटी के आसपास मुनादी की, और कुछ घंटों बाद चौपाटी को खाली किया जाने लगा। दुकानदार देर रात तक अपने सामान और गुमटियों को वहां से हटाने में व्यस्त रहे, लेकिन फिर भी कुछ हिस्सों में अवैध रूप से बनी पक्की दुकानों पर कब्जा बना हुआ है। कुछ दिन पहले नगर निगम का रिमूवल अमला मेघदूत चौपाटी पर कार्रवाई करने के लिए तैयार था, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते वह काम रुका हुआ था ।

नगर निगम ने एक बार फिर मेघदूत चौपाटी को हटाने की तैयारी की और कल रात रिमूवल टीम की गाड़ियाँ क्षेत्र में पहुंची। रात 8-9 बजे के आसपास मुनादी शुरू की गई, और कुछ ही घंटों में वहां लगी गुमटियां और दुकानें हटनी शुरू हो गई थीं। यह प्रक्रिया देर रात तक चलती रही। आज सुबह तक सर्विस रोड से लेकर चौपाटी के हिस्सों में सभी गुमटियां और दुकानें गायब थीं। हालांकि, कुछ हिस्सों में अवैध रूप से स्थापित दुकानें अभी भी मौजूद थीं, जिन्हें नहीं हटाया गया। अफसरों का कहना है कि दुकानदारों को अल्टीमेटम दिया गया था, और जिन दुकानें को नहीं हटाया गया है, उन्हें आज निगम की रिमूवल टीम जाकर हटाने की कार्रवाई करेगी ।