गंगापुर : राजस्थान के गंगापुर सिटी की लड़की ने अपनी जिंदगी का एक अनोखा फैसला लिया और सबको चौका दिया, BSc पास लड़की की शादी सरकारी नौकरी करने वाले लड़के के साथ तय हुई थी लेकिन लड़की ने उस रिश्ते को ठुकराकर कपडे की दुकान में काम करने वाले प्रेमी से शादी कर ली यह खबर सोशल मिडिया पर वायरल एक इंटरव्यू से सामने आई है, जिसमे रेनू और अरविन्द ने अपनी प्रेम कहानी के बारे में खुलकर बात की,
रेनू ने बताया कि वह गंगापुर सिटी के डवारा गांव की है और दोनों की मुलाकात करीब दो साल पहले हुई थी रेनू कोचिंग जाती थी और अरविन्द कपड़ो की दुकान पर काम करता था, रेनू ने बताया की में बाजार में घूम रही थी और वही अरविन्द से नज़रे मिली और हमारी बात शुरू हुई |
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि वे जनता के असली मुद्दों से ज्यादा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते है बिकानेर में आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए, CM शर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री विधानसभा सत्र में एक दिन भी नहीं आए, लेकिन हर दिन ट्विटर (X) पर एक्टिव रहते हैं और सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं
CM शर्मा ने कहा, ‘ट्विटर (X) पर पोस्ट करने से पहले, आपको अपने पुराने ट्वीट देखने चाहिए और सोचना चाहिए कि जब आप पांच साल तक सत्ता में थे, तब आपने राजस्थान की जनता के लिए क्या किया?
शर्मा ने कहा कि सिर्फ सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना काफी नहीं, बल्कि जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझना और उन्हें दूर करना सरकार की जिम्मेदारी होती है. उन्होंने बिना नाम लिए कांग्रेस के एक युवा नेता पर भी तंज कसा जिन्होंने किसानों से कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन उसे पूरा नहीं किया.
शर्मा ने कहा, ‘एक नेता ने तो यहां तक कहा था कि आलू से सोना बनाया जा सकता है हमारे पास ऐसी कोई मशीन नहीं है, लेकिन अगर राजस्थान के किसानों को सही से पानी मिल जाए, तो वे निश्चित रूप से जमीन से सोना उगा सकते हैं.
JAIPUR FIRE: जयपुर-अजमेर हाईवे पर शुक्रवार सुबह हुए एक दर्दनाक हादसे में 5 लोगों की जलकर मौत हो गई और 37 लोग गंभीर रूप से झुलस गए। हादसा दो ट्रकों की टक्कर से हुआ,जिनमें से एक में केमिकल भरा हुआ था। टक्कर के बाद जोरदार धमाका हुआ, जिससे आग फैल गई और आसपास खड़ी 40 गाड़ियां भी आग की चपेट में आ गईं।
घटना का विवरण
यह हादसा अल सुबह जयपुर-अजमेर हाईवे पर हुआ । हादसे का कारण केमिकल टैंकर और दूसरे ट्रक के बीच टक्कर है । इस घटना से 300 मीटर क्षेत्र आग की चपेट में आ गया,धमाके की आवाज 10 किमी तक सुनाई दी ।
हादसे के कारण और प्रभाव
टक्कर के बाद टैंकर में हुआ धमाका इतना जोरदार था कि आसपास खड़े अन्य वाहन भी जलने लगे, आग इतनी भयंकर थी कि लपटें दूर से नजर आ रही थीं।
हाईवे पर यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया।
प्रशासन और राहत कार्य
भांकरोटा थाने के एसएचओ मनीष गुप्ता के अनुसार, राहत कार्य जारी है। दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाने का प्रयास किया गया। स्थानीय प्रशासन और आपातकालीन सेवाएं बचाव कार्य में जुटी हैं।
सीएम की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना पर दुख जताया और अस्पताल जाकर पीड़ितों से मुलाकात की।
उन्होंने कहा – “घटना से मन अत्यंत व्यथित है। घायलों की समुचित देखभाल और पीड़ित परिवारों को मदद के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन पूरी तत्परता से काम कर रहा है।”
हादसे की जांच शुरू कर दी गई है। हाईवे को जल्द साफ कर ट्रैफिक बहाल करने की योजना है। पीड़ितों को मुआवजा देने पर विचार किया जा रहा है।
यह हादसा एक बार फिर सड़क सुरक्षा और हाईवे पर केमिकल ट्रांसपोर्टेशन के प्रोटोकॉल पर सवाल खड़े करता है।
Sanwariya Seth Dan: सेठों के सेठ सांवरिया सेठ मंदिर में दान का रिकॉर्ड का टूट गया है। मेवाड़ के इस मंदिर में महज दो माह में करीब 35 करोड़ रुपए का प्राप्त हुआ। इसके अलावा दो किलो सोना, 188 किलो चांदी और कई देशों की मुद्रा प्राप्त हुई है।
बता दें कि बीतें वर्ष सांवरिया सेठ मंदिर में तकरीबन 17 करोड़ रुपए का दान प्राप्त हुआ था। लेकिन इस बार सांवरिया सेठ टेम्पल में भक्तों ने दिल खोलकर दान दिया है। गौरतलब हैं कि चित्तौड़गढ़ से 39 किलोमीटर दूर सांवरिया सेठ मंदिर में प्रत्येक महीने चतुर्दशी तिथि पर दान पात्र खुलते हैं लेकिन बार दिवाली पर दान पात्र नहीं खुल पाए थे। इस वजह इन दो महीनों में यह पात्र खुले हैं।
6 राउंड में हुई गिनती
भक्तों ने इस बार सेठों के सेठ कहे जाने वाले सांवरिया सेठ पर जमकर दान बरसाया है। नतीजतन, 6 राउंड (दिन) में नोटों की गिनती हो पाई है। पहले राउंड में तकरीबन 11 करोड़ 34 लाख 75 हजार रुपयों की गिनती की गई। दूसरे दिन यानी 1 दिसंबर की गिनती अमावस्या के कारण नहीं हो पाई। इसलिए 2 दिसंबर को दूसरे राउंड की गिनती की गई। इस दिन 3 करोड़ 60 लाख रुपयों की गिनती की गई। 3 दिसंबर को तीसरे राउंड की गिनती में करीब 4 करोड़ 27 लाख 80 हजार रुपए की गिनती हुई। 4 दिसंबर को चौथे राउंड की गिनती में 2 करोड़ 73 लाख 90 हजार रुपए, 5 दिसंबर पांचवें राउंड में 3 करोड़ 51 लाख 29 हजार 500 रुपयों की गिनती तथा छठे राउंड की गिनती में आज (6 दिसंबर) सिक्कों की गिनती हुई है। इस बार सेठों के सेठ के दरबार में भक्तों ने 13 लाख 93 हजार 81 हजार रुपए के सिक्के दान में दिए हैं।
मनी ऑर्डर से मिलें 9 करोड़ रूपये
बता दें कि इस बार सांवरिया सेठ के दरबार में सोना-चांदी भी खूब बरसा है। दान भंडार से 58 किलो 900 ग्राम चांदी और 2 किलो 290 ग्राम सोना दान में प्राप्त हुआ है। इसके अलावा मनी आर्डर और ऑनलाइन से भी भक्तों ने दान देकर बाबा के दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस बार ऑनलाइन और मनी आर्डर से करीब 9 करोड़ 30 लाख 27 हजार 427 रुपए का दान प्राप्त हुआ है।
Lawrence bishnoi: लॉरेंस बिश्नोई नहीं बल्कि अनिल बिश्नोई हैं काले हिरण के सच्चे हमदर्द। काले हिरण को बचाने का जूनून अनिल बिश्नोई में कॉलेज समय से ही था। उस समय अनिल बिश्नोई के जिले में हर महीने काले हिरण मर रहे थे। इससे अनिल उदास होता था और उन्हें गुस्सा आता था लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर क्या किया जाए?
कॉलेज की पढ़ाई के दौरान अनिल बिश्नोई ने अपनी कम्यूनिटी की एक कॉन्फ्रेंस अटैंड की। जिसका मुद्दा था जंगलों की अंधाधुन कटाई और वाइल्डलाइफ को सेफ कैसे करें? इस समय अनिल बिश्नोई की ज़िंदगी के मायने बदल गए। अपनी पढ़ाई करने के जब वह गांव आए तो उन्होंने काले हिरणों को बचाने का संकल्प लिया। तब उन्होंने गांव वालों को जागरूक किया कि जब भी काले हिरण का शिकार होने की संभावना हो उन्हें सूचित कर दिया जाए।
एक बार अनिल को गांव के एक शख्स ने ऐसी ही जानकारी दी कि कहीं पर काले हिरण का शिकार होने वाला है। उस समय ठंड का मौसम था। अनिल अपनी मोटर साइकिल उठाकर करीब 30 किलोमीटर गया लेकिन तब तक काला हिरण मारा जा चुका था। शिकारी मांस पका रहे थे। अनिल ने पुलिस को बुलाकर शिकारी को गिरफ्तार कर केस दर्ज करवाया। इसके बाद एक बार फिर ऐसी सूचना पर अनिल शिकारी को रोकने जाते हैं लेकिन शिकारी उन पर बंदूक तान देता है। पुलिस की मदद से वह एक बार फिर शिकारी को गिरफ्तार करवाते है।
अनिल बिश्नोई राजस्थान के लखासर गांव के रहने वाले हैं और अब तक 300 शिकारियों को रंगे-हाथों गिरफ्तार करवा चुके हैं। इसके अलावा काले हिरण को बचाने के लिए अनिल ने 200 पोखर बनवाएं ताकि वह आसानी से पानी पी सकें। इसके अलावा वह चोटिल काले हिरणों के इलाज में भी मदद करते हैं। अब तक वे 10 हजार से अधिक काले और चिंकारा हिरणों को बचाने में सफल हुए है। आज उनकी टीम में तीन हजार से अधिक मेंबर है। यही वजह है कि अनिल बिश्नोई को 2009 में राजस्थान सरकार ने अमृता देवी एनवायरनमेंटल अवार्ड से सम्मानित किया।
कौन हैं लॉरेंस बिश्नोई?
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जबकि लॉरेंस बिश्नोई ने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से की और छात्र राजनीति में चला गया। इस दौरान वह स्टूडेंट पॉलिटिकल इलेक्शन में एक कैंडिडेट के लिए कैम्पेन कर रहा था। तब अपोजिट पार्टी वालों से उसका झगड़ा हो गया। इस दौरान लॉरेंस एक दोस्त ने वार्निंग देने के हिसाब से बंदूक चला दी। इसके बाद लॉरेंस और उसके साथियों ने अपोजिट पार्टी के लिए कैम्पेन करने वाले एक शख़्स की गाड़ी जला दी। इस मामले में पुलिस ने लॉरेंस और उसके 8 दोस्तों को गिरफ्तार किया। जहां जेल में वह हथियारों के सप्लायर से मिला। जेल से छूटने के बाद वह गुंडागर्दी करता रहा। इस दौरान उस पर कई केस हुए। लेकिन दोनों पार्टियों ने समझौता कर लिया और लॉरेंस पर लगे सारे केस ख़ारिज हो गए। 2010 में उसने पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट के लिए चुनाव लड़ा। चुनाव हारने पर उसने अपने प्रतिद्वंद्वी कैंडिडेट पर हमला कर दिया।
काला जठेड़ी कौन हैं?
साल 2011 में जमानत पर बाहर आने पर उसने फिर से चुनाव लड़ा और वह इस बार जीत गया। कॉलेज में रहने के दौरान लॉरेंस पर 18 मुकदमें दर्ज हो चुके थे। साल 2012 में लॉरेंस को लॉ की डिग्री मिल जाती है। 2013 में उसने अपने एक साथी को कॉलेज प्रेसिडेंट के इलेक्शन में उतारा। इस दौरान लॉरेंस और उसके साथी ने प्रतिद्वंदी कैंडिडेट की हत्या कर दी। हत्या के वह और उसके साथी फरार हो गए। 2014 में लॉरेंस पकड़ा गया। लेकिन 2015 में वह एक पुलिस कस्टडी से भाग गया। लेकिन एक बार फिर उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह वह समय था जब लॉरेंस अपनी गैंग बना चुका था। इसके बाद लॉरेंस के दोस्त गोल्डी बरार ने गैंग को चलाना शुरू किया। इस दौरान लॉरेंस ने जेल में एक और गैंगस्टर काला जठेड़ी से हाथ मिला लिया। इस दौरान दोनों ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में 30 मर्डर किए। हालाँकि इसके बाददोनों में झगड़ा हो गया। इस दौरान लारेंस का सबसे बड़ा दुश्मन था दविंदर बंबीहा। दोनों की दुश्मनी थी हफ्ता वसूली को लेकर। दविंदर बंबीहा का हफ्ता वसूली रैकेट उस समय चडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के आसपास चलता था। इस दौरान लॉरेंस और दविंदर की गैंग के बीच चंडीगढ़, दिल्ली और पंजाब में शूटआउट हुए। इसके अलावा पंजाब म्यूजिक इंडस्ट्री और कबड्डी के खिलाड़ियों पर शिकंजा कसने के लिए भी दोनों गैंग्स आमने-सामने हो गई। लेकिन 2016 में दविंदर बंबीहा एक पुलिस एनकाउंटर में मारा जाता है।