Intercontinental Ballistic Missile: रूस ने गुरुवार सुबह यूक्रेन पर इंटरकॉन्टीनेंट बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) से हमला कर दिया। यह पहला मौका है जब इस जंग में आईसीबीएम मिसाइलों का उपयोग किया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, रूस आज सुबह 5 से 7 बजे के बीच में यूक्रेन के दनीप्रो शहर पर इन मिसाइलों से ताबड़तोड़ हमला बोल दिया। ऐसा माना जा रहा है कि इसके लिए रूस ने आरएस-26 रूबेजह मिसाइलों का उपयोग किया हो। रूस ने मिसाइल अस्त्राखान क्षेत्र बरसाई है। इस हमले की पुष्टि यूक्रेन की वायुसेना ने की है। इसके अलावा रूस ने यूक्रेन पर केएच-101 क्रूज और किंझल हापरसोनिक मिसाइलों से भी हमला बोला।

रूस ने इस हमले के जरिए यूक्रेन के कई महत्वपूर्ण इंस्टीट्यूशन, बिल्डिंग और स्ट्रक्चर को तहस नहस कर दिए। यह जानकारी भी यूक्रेन की वायुसेना ने दी है। यूक्रेन पर हुए इस हमले में रूस ने गैर-परमाणु हथियारों का उपयोग किया है। साथ ही रूस ने लंबी दूरी के बमवर्षकों टीयू-95एमएस भी यूक्रेन पर बरसाए। रूस ने बमवर्षकों से हमला अपने वोल्गोग्राड क्षेत्र से किया। इसके अलावा ताम्बोव क्षेत्र से किंझल हाइपरसोनिक मिसाइलें दागी गई। इन मिसाइलों के जरिए एमआईजी-31के फाइटर जेट छोड़े गए।

रूस ने ब्रिटिश मिसाइलों को मार गिराया

साथ ही रूस ने दावा किया कि दो ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइलों को उसके हवाई डिफेंस सिस्टम ने मार गिराने में सफलता हासिल की है। इन मिसाइलों को यूक्रेन ने रूस पर छोड़ी थी। बता दें कि यूक्रेन ने भी इस जंग में पहली बार ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइलों से हमला बोला है। वहीं, यूक्रेन को रूस के हमले की पहले से ही आशंका थी। इधर, यूक्रेन की इंटेलिजेंस ने 20 नवंबर 2024 को ही आशंका जता दी थी कि रूस इंटरकॉन्टीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल आरएस-26 रूबेजह से उस पर हमला कर सकता है। रूस ने इन मिसाइलों को कपुस्तिन यार एयर बेस से दागा था। रूस के इस हिस्से को अस्त्रखान भी कहा जाता है। इस मिसाइल में खतरनाक पारंपरिक या परमाणु हथियार लगा सकते हैं।

4 हथियार लगा सकते हैं

36 हजार किलोग्राम वजनी रूस की इंटरकॉन्टीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल आरएस-26 रूबेजह बेहद खतरनाक मानी जाती है। यह मिसाइल 150/300 किलोटन के चार हथियारों को लगाकर दागी जा सकती है। एमआईआरवी तकनीक से लैस इस मिसाइल को चार टारगेट्स पर दागा जा सकता है। इसके अलावा आरएस-26 रूबेजह अपने साथ अवांट-गार्ड हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन को ले जा सकती है। जिससे हमला और भी खतरनाक हो सकता है। इस मिसाइल के जरिए 6 हजार किलोमीटर की रेंज तक हमला किया जा सकता है। वहीं, इस मिसाइल की स्पीड बेहद चौंकाने वाली है। यह अपने टारगेट की तरफ 24,500 किमी/घंटा की गति से हमला बोलती है। ऐसे में दुनिया के किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम से इसे रोकना नामुमक़िन है। इसको रोड-मोबाइल लॉन्चर से छोड़ा जाता है।

पाकिस्तान के भिखारी ने दी शाही दावत, 20 हज़ार लोगो को खिलाया खाना

NEW DELHI: हम जब भी कहीं सड़क से गुजरते हैं, तो अक्सर वहां कुछ भिखारी दिखाई देते हैं, जो आने-जाने वाले लोगों से भीख मांगते रहते हैं। आपने भी कभी न कभी उन पर दया की होगी और पैसे दिए होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ भिखारी कितने अमीर होते हैं? एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे।

हम जिन भिखारियों पर दया दिखाकर पैसे देते हैं, उनकी असली संपत्ति का अंदाजा भी आपको नहीं होगा। पाकिस्तान के एक भिखारी ने करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च करके लोगों को शाही दावत दी, तो यह खबर सुनकर लोगों की आंखें फटी की फटी रह गईं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के गुजरांवाला शहर में रहने वाले एक भिखारी के परिवार ने एक भव्य दावत का आयोजन किया था, जिसमें पंजाब भर से हजारों लोग शामिल हुए।

भिखारियों ने दी आलीशान दावत

सोशल मीडिया पर इस वक्त गुजरांवाला के एक भिखारी परिवार का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने 20,000 लोगों के लिए शानदार दावत दी। मेहमानों को दावत स्थल तक पहुंचाने के लिए 2,000 से ज्यादा वाहनों की व्यवस्था भी की गई थी। और यह जानकर आपको हैरानी होगी कि भिखारी परिवार ने इस भव्य आयोजन पर लगभग 1.25 करोड़ पाकिस्तानी रुपये (जो भारतीय मुद्रा में लगभग 38 लाख रुपये बनते हैं) खर्च कर डाले। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह दावत उनकी दादी की मृत्यु के 40वें दिन पर आयोजित की गई थी ।

 

 

 

 

Navaornis hestia: कई शोधकर्ताओं ने आज के पक्षियों के दिमाग की तुलना मनुष्य के दिमाग से की है। हालांकि, वैज्ञानिकों के लिए आज भी यह एक पहेली है कि करीब 80 लाख साल पहले पक्षियों का दिमाग इतना विकसित नहीं हुआ था। ऐसे में आज पक्षियों का दिमाग इतना विकसित कब कैसे हो गया है?

यही वजह है कि वैज्ञानिक डायनासोर कालीन पक्षियों का अध्ययन कर रहे हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने नावाओर्निस हेस्टिया नामक पक्षी के पुराने जीवाश्म से दिमाग की थ्रीडी संरचना बनाने में सफलता हासिल की है। बता दें कि नावाओर्निस हेस्टिया करीब 80 लाख साल पुराना है जो डायनासोर के साथ सूखे इलाकों में रहता था। साल 2016 में जीवाश्म वैज्ञानिक विलियम नावा ने एक पक्षी के जीवाश्म का पता लगाया था। जिसकी मदद से आज के पक्षियों की बुद्धि और दिमाग से जुड़े कई रहस्यों का पता लगाने में मदद मिली है। वैज्ञानिकों ने हेस्टिया नाम के इस पक्षी की खोपड़ी और मस्तिष्क की माइक्रो सीटी स्कैन की मदद से थ्रीडी इमेज बनाई है।

साथ ही वैज्ञानिकों में इस पक्षी के कान और दिमाग की संरचना का पुनर्निर्माण करने में भी सफलता प्राप्त की है। जीवाश्म वैज्ञानिक गुईलेर्मो नेवलॉन ने नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी में इस बारे में कहा कि यह एक नायाब खोज है। स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि जुरासिक काल के दौरान पक्षियों का विकास छोटे पंख वाले डायनासोर से हुआ था। जीवाश्म वैज्ञानिक लुइस चियाप्पे का मानना हैं कि पुराने पक्षियों की खोपड़ी की थ्रीडी इमेज लेना बड़ा मुश्किल काम था। ऐसे में यह खोज बेहद उपयोगी है। स्टडी के सीनियर राइटर डैनियल फील्ड का मानना हैं कि पक्षियों की असाधारण बुद्धि और मस्तिष्क का पता लगाना बेहद दुर्लभ था। ऐसे में इस स्टडी से यह जानना बेहद आसान हो जाएगा।

स्टडी के मुताबिक, आज के पक्षियों की तुलना में जुरासिक काल के नावाओर्निस पक्षी की खोपड़ी बेहद छोटी थी,लेकिन आर्कियोप्टेरिक्स पक्षी की तुलना में बड़ा था। वहीं, इसका दिमाग इंसानों और आधुनिक पक्षियों की तरह रीढ़ की हड्डी से जुड़ा था। जबकि नावाओर्निस हेस्टिया पक्षी के कान के अंदर का हिस्सा दूसरे पक्षियों की तुलना में बड़ा था। इस पक्षी की चोंच बेहद पतली और नाजुक थी जो बीज और कीड़े खाने में मदद करती थी। लिहाजा नावाओर्निस पक्षी विपरीत परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता था।

Donald Trump: 78 वर्षीय डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने भारतीय मूल की कमला हैरिस को मात दी है। वैसे तो डोनाल्ड ट्रंप राजनीति से इतर कारोबार की दुनिया के भी बड़े चेहरे हैं। उनका कारोबार भारत सहित दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है।

ट्रंप भारत में मुंबई, पुणे, कोलकाता और गुरुग्राम सहित कई बड़े शहरों में अपना कारोबार करते हैं। इन शहरों में आपको आसानी से ‘ट्रंप टॉवर’ मिल जाएंगे। ट्रंप ने भारत में रियल एस्टेट में बड़ा इन्वेस्टमेंट किया है। बता दें कि ट्रंप को रियल एस्टेट का कारोबार विरासत में मिला है। हालांकि, उन्होंने इसे नई ऊँचाइयाँ देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

भारत की कई कंपनियों के साथ बिजनेस

डोनाल्ड ट्रंप की कंपनी दि ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन देश में कई बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर रियल एस्टेट का कारोबार करती है। इनमें यूनिमार्क, पंचशील रियल्टी, भारत में लोढ़ा ग्रुप,एम3एम, ट्रिबेका और आइरियो जैसी कंपनियां शामिल है।

ट्रंप टावर्स के फ्लैट की कीमत 4 करोड़

ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन ने भारत के गुरुग्राम में बड़ा निवेश किया है। देश की राजधानी से सटे गुरुग्राम में 50 मंजिला दो ट्रंप टॉवर्स है जो कि ट्रिबेका ट्रंप टॉवर्स के नाम से जाने जाते है। इन टॉवर्स में फ्लैट की शुरुआती कीमत 4 करोड़ से अधिक है।

इसके अलावा इन शहरों में ट्रंप टॉवर

भारत में ट्रंप टॉवर कोलकाता, मुंबई, पुणे जैसे शहरों में है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में उन्होंने ट्रिबेका डिवेलपर्स, यूनिमार्क ग्रुप और आरडीबी ग्रुप के साथ मिलकर ट्रंप टॉवर बनाए हैं। 39 मंजिला इस टॉवर में फ्लैट की शुरुआती कीमत 3.75 करोड़ रुपये है। इसी तरह मुंबई के वर्ली इलाके में 78 मंजिला ट्रंप टॉवर है। लोढ़ा ग्रुप के सहयोग से बनाए गए इस टॉवर में फ्लैट की शुरूआती कीमत 10 करोड़ रूपये है। पुणे में 23 मंजिला ट्रंप टॉवर पंचशील रियल्टी के सहयोग से बनाया गया है। जिसमें एक फ्लैट की कीमत 15 करोड़ रुपये से अधिक है। बता दें कि ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन ने देश में पहली बार साल 2013 में निवेश किया था।