हल्दी आयुर्वेदिक चिकित्सा में खास स्थान रखती है। चोट, दर्द और सूजन के इलाज के लिए हल्दी का लंबे अरसे से बड़े स्तर पर इस्तेमाल होता रहा है। अब हमारे भोजन में हल्दी इस तरह घुल-मिल गई है कि कई बार तो खाना खाते हुए भी हमें इसके होने का एहसास तक नहीं होता है।

हल्दी हमारे खाने में रंग और स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही न्यूट्रिशनल वैल्यू भी बढ़ाती। कई बार यह हमें छोटी-मोटी चोट, दर्द और सूजन का तो पता भी नहीं चलने देती है। इसके अलावा यह सर्दी-जुकाम से लेकर हार्ट डिजीज और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से भी हमें सुरक्षित रखती है,

हल्दी हमारे लिए एक एंटी वायरस का काम करती है और ये एक बहुत अच्छी एंटीबॉयोटिक भी है ये कार्डियो इन्हैंसर, एंटी कैंसर, एंटी डायरियल, लिवर इन्हैंसर, एंटी डायबिटिक इत्यादि प्रकार के इसमें लाभकारी गुण होते है

इसी के साथ हल्दी डिप्रेशन को काम करती है, इससे बुढ़ापा जल्दी नहीं आता, लिवर फंगशन इम्प्रूव करती है और मेमोरी को बढ़ती है हल्दी हार्ड डिजीज से रक्षा करती है और वेट मैनेज करने में मदद करती है,

पूर्वजों ने हल्दी से होने वाले फायदों को बहुत पहले ही पहचान लिया था। इसलिए उन्होंने हल्दी को भोजन का जरूरी हिस्सा बना दिया। इसके अलावा चोट, दर्द और सूजन के लिए भी इसका खूब इस्तेमाल करते रहे हैं।

दुनिया की करीब आधी आबादी विटामिन D की कमी से जूझ रही है। भारत में स्थिति ज्यादा गंभीर है। एक अध्ययन के अनुसार, देश में करीब 76% लोग विटामिन D की कमी से जूझ रहे हैं। मतलब हर 4 में से 3 लोगों में विटामिन D की कमी है।

विटामिन D की कमी से हो सकता है कैंसर

विटामिन D शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट को संतुलित रखने में मदद करता है, जिससे हड्डियों और दांतों को मजबूती मिलती है। इसके अलावा, यह कोशिकाओं यानी सेल्स की ग्रोथ और इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करता है। हाल ही में एक स्टडी में इसकी कमी से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने की बात कही गयी है।

कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि: विटामिन D कोशिकाओं की सामान्य वृद्धि और विभाजन को नियंत्रित करता है। इसकी कमी से असामान्य रूप से कोशिकाएं बढ़ सकती हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
इम्यून सिस्टम की कमजोरी: यह विटामिन शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। इसकी कमी से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे कैंसर सेल्स का बढ़ना आसान हो जाता है।

विटामिन D की कमी को कैसे पूरा करें

1. सुबह के समय कम से कम 15-20 मिनट धूप लें।

2. डाइट में अंडा, सैल्मन, टूना जैसी मछली, मशरूम और फोर्टिफाइड फूड्स शामिल करें।

3. डॉक्टर की सलाह से विटामिन D सप्लीमेंट लें।

4. एक्सरसाइज करें और हेल्दी रूटीन अपनाएं।

5. यह ऐसा विटामिन है, जिसे हमारी बॉडी खुद ही बना सकती है, लेकिन इसके लिए सूरज की रोशनी यानी धूप की जरूरत होती है

 

 

 

गर्मियों के दौरान पानी पीने का खास ध्यान रखना होता है. शरीर में पानी की कमी से कई बीमारियों का खतरा रहता है. गर्मी के मौसम में कितना पानी पीना चाहिए. कम पानी पीने के क्या हैं नुकसान.

व्यक्ति को गर्मी के इस मौसम में कम से कम 2 लीटर पानी पीना चाहिए. भले ही आप ऑफिस में बैठकर काम करते हों तो भी इतना पानी जरूरी है. हां, अगर आप रोज एक्सरसाइज करते हैं, एथलीट हैं तो इससे ज्यादा पानी पीना चाहिए.

गर्मियों में सामान्य व्यक्ति को कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कम से कम 10-12 गिलास पानी पीना चाहिए. गर्भवती महिलाओं के लिए पानी बहुत जरूरी है. इसकी कमी से मां और बच्चे दोनों को रिस्क हो सकता है. इसी तरह स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी पानी 10 से 12 गिलास पीना जरूरी है.

कम पानी पीने से क्या खतरा रहता है?

कम पानी पीने से डिहाइड्रेशन हो सकता है.कम पानी पीने से पथरी हो सकती है. कम पानी पीने से हृदय रोग हो सकता है. कम पानी पीने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि कब्ज या पेट दर्द. पानी की कमी से गर्मियों में डिहाइड्रेशन का सबसे अधिक रिस्क होता है. डिहाइड्रेशन से उल्टी दस्त होता है, जो खतरनाक हो सकता है. ऐसे में आपको इस मौसम में पानी पीने का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. अगर बाहर भी जाएं तो अपने पास एक लीटर की बॉटल रखें और उससे पानी पीते रहें. इस मामले में लापरवाही न करें.

शरीर के लिए पानी क्यों है जरूरी

पानी के बिना शरीर नहीं रह सकता है. पानी गंदे पदार्थों को निकालता है. इससे शरीर को साफ रखने में मदद मिलती है. पानी किडनी की फंक्शन के लिए जरूरी है. यह शरीर के पाचन तंत्र को मदद करता है और भोजन को पचाने में मदद करता है. पानी कब्ज को रोकने में मदद करता है और मल त्याग को सामान्य रखता है.