Thursday, November 28, 2024

Navaornis hestia: जानिए, आखिर डायनासोर कालीन पक्षी का दिमाग कैसा था?

साल 2016 में जीवाश्म वैज्ञानिक विलियम नावा ने एक पक्षी के जीवाश्म का पता लगाया था। जिसकी मदद से आज के पक्षियों की बुद्धि और दिमाग से जुड़े कई रहस्यों का पता लगाने में मदद मिली है। वैज्ञानिकों ने हेस्टिया नाम के इस पक्षी की खोपड़ी और मस्तिष्क की माइक्रो सीटी स्कैन की मदद से थ्रीडी इमेज बनाई है।

Navaornis hestia: कई शोधकर्ताओं ने आज के पक्षियों के दिमाग की तुलना मनुष्य के दिमाग से की है। हालांकि, वैज्ञानिकों के लिए आज भी यह एक पहेली है कि करीब 80 लाख साल पहले पक्षियों का दिमाग इतना विकसित नहीं हुआ था। ऐसे में आज पक्षियों का दिमाग इतना विकसित कब कैसे हो गया है?

यही वजह है कि वैज्ञानिक डायनासोर कालीन पक्षियों का अध्ययन कर रहे हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने नावाओर्निस हेस्टिया नामक पक्षी के पुराने जीवाश्म से दिमाग की थ्रीडी संरचना बनाने में सफलता हासिल की है। बता दें कि नावाओर्निस हेस्टिया करीब 80 लाख साल पुराना है जो डायनासोर के साथ सूखे इलाकों में रहता था। साल 2016 में जीवाश्म वैज्ञानिक विलियम नावा ने एक पक्षी के जीवाश्म का पता लगाया था। जिसकी मदद से आज के पक्षियों की बुद्धि और दिमाग से जुड़े कई रहस्यों का पता लगाने में मदद मिली है। वैज्ञानिकों ने हेस्टिया नाम के इस पक्षी की खोपड़ी और मस्तिष्क की माइक्रो सीटी स्कैन की मदद से थ्रीडी इमेज बनाई है।

साथ ही वैज्ञानिकों में इस पक्षी के कान और दिमाग की संरचना का पुनर्निर्माण करने में भी सफलता प्राप्त की है। जीवाश्म वैज्ञानिक गुईलेर्मो नेवलॉन ने नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी में इस बारे में कहा कि यह एक नायाब खोज है। स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि जुरासिक काल के दौरान पक्षियों का विकास छोटे पंख वाले डायनासोर से हुआ था। जीवाश्म वैज्ञानिक लुइस चियाप्पे का मानना हैं कि पुराने पक्षियों की खोपड़ी की थ्रीडी इमेज लेना बड़ा मुश्किल काम था। ऐसे में यह खोज बेहद उपयोगी है। स्टडी के सीनियर राइटर डैनियल फील्ड का मानना हैं कि पक्षियों की असाधारण बुद्धि और मस्तिष्क का पता लगाना बेहद दुर्लभ था। ऐसे में इस स्टडी से यह जानना बेहद आसान हो जाएगा।

स्टडी के मुताबिक, आज के पक्षियों की तुलना में जुरासिक काल के नावाओर्निस पक्षी की खोपड़ी बेहद छोटी थी,लेकिन आर्कियोप्टेरिक्स पक्षी की तुलना में बड़ा था। वहीं, इसका दिमाग इंसानों और आधुनिक पक्षियों की तरह रीढ़ की हड्डी से जुड़ा था। जबकि नावाओर्निस हेस्टिया पक्षी के कान के अंदर का हिस्सा दूसरे पक्षियों की तुलना में बड़ा था। इस पक्षी की चोंच बेहद पतली और नाजुक थी जो बीज और कीड़े खाने में मदद करती थी। लिहाजा नावाओर्निस पक्षी विपरीत परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता था।

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