Mahakumbh: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर हुए हादसे ने हर किसी का दिल दहला दिया। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु अमृत स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे थे। इस दौरान देर रात अमृत स्नान के कुछ घंटे पहले मची भगदड़ में सैकड़ों लोग घायल हुए तो कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई। इस पूरी घटना के बाद अब कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे है।
वहीं, शासन प्रशासन के लिए एक चुनौती भी सामने है जब बसंत पंचमी का पर्व नज़दीक आ चुका है। ऐसे में एक बार फिर यहां करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद होगी। ऐसी स्थिति में आगे इस तरह की घटना ना हो इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। दरअसल, 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ में प्रतिदिन लाखों करोड़ों श्रद्धालु देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने से पहुंच रहे हैं।
मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ में प्रशासनिक आंकड़ों की बात करें तो 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई है। वहीं सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। बात दें कि उस वक्त हुई जब दूसरी अमृत स्नान के लिए करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंचे थे। ऐसे में स्नान के कुछ समय पूर्व क्षेत्र में भगदड़ मच गई। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्थाओं का अभाव और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त प्रयास न किए जाने का आरोप लगे। साथ ही यह भी कहा गया कि प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश या मार्ग दर्शन नहीं दिए गए थे जिससे यह हादसा हुआ।
हादसे के बाद कई तरह के सवाल भी खड़े हुए। कुछ लोगों का मानना है कि इस भगदड़ के लिए मुख्य रूप से प्रशासन ज़िम्मेदार है। आयोजन स्थल पर भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त इंतज़ाम नहीं थे। सुरक्षा इंतज़ामों की कमी के कारण यह दुर्घटना हुई। प्रशासन ने पहले से इस बारे में कोई ठोस योजना नहीं बनाई थी। जिससे लोग एक साथ बड़ी संख्या में इकट्ठे हो गए। वहीं, प्रशासन की तरफ से जारी की गई केवल चेतावनी का भी सही ठंग से पालन नहीं हुआ। ऐसे में भगदड़ के चलते हज़ारो श्रद्धालु तितर बितर हो गए।
इस पूरे हादसे में कुछ ऐसे भी लोग है तो सरकार की नीतियों को इसका दोषी मान रहे हैं। जो इतने बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त संसाधनों और तैयारियों का सही तरीके से प्रबंधन नहीं कर पाए। कुंभ जैसे विशाल आयोजन के लिए राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी होती है कि हर पहलू पर निगरानी रखें और उचित व्यवस्था तैयार करें, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, जिसके चलते इस हादसे ने इतना बड़ा रूप लिया।
प्रयागराज में हाल ही में हुए कुंभ मेले के दौरान भगदड़एक दिल दहलाने वाला हादसा है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए संगम क्षेत्र में उमड़े थे और इसी दौरान हुई भगदड़ में कई लोग घायल हो गए और कई की जान भी चली गई। यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और व्यवस्था की कमी को लेकर सवाल उठाती है। खासतौर पर, जब बसंत पंचमी का पर्व नजदीक है, और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ फिर से उमड़ने की संभावना है, तो प्रशासन और सरकार के सामने बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई है कि वह भविष्य में इस तरह की घटनाओं से कैसे बचें?