27Dec

Manmohan Singh Death: क्रैश हो गई थी इंडियन इकोनॉमी, फिर 1991 में मनमोहन सिंह का वो ऐतिहासिक बजट

Manmohan Singh Death: आर्थिक सुधारों के जनक और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। देर शाम तबीयत बिगड़ने के बाद सिंह को दिल्ली एम्स के इमरजेंसी विभाग में एडमिट कराया गया था। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रहते हुए इंडियन इकोनॉमी की तस्वीर बदल दी। भारत के आर्थिक उदारीकरण में डॉ मनमोहन का अविस्मरणीय योगदान रहा है। बता दें कि 90 के दशक में जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था उस समय वित्तमंत्री रहते हुए कई बड़े फैसले लिए।

कई बड़े फैसले लेकर बदल देश की दिशा

देश की इकोनॉमी को बूस्ट करने में साल 1991 में डॉ मनमोहन सिंह ने कई बड़े फैसले लिए जो मील का पत्थर साबित हुई। उन्होंने लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया। इसके अलावा विदेशी निवेशकों के लिए उन्होंने अर्थव्यवस्था खोल दिया। भारत में उन्होंने ग्लोबलाइजेशन, लिबरलाइज़ेशन और प्राइवेटाइजेशन के नए युग की शुरुआत की। अपनी दूरदर्शिता और सूझ-बूझ से उन्होंने गंभीर आर्थिक संकट से जूझ भारत को निकाला।

जब इंडियन इकोनॉमी क्रैश हो गई थी

मनमोहन ने देश को गहरे आर्थिक संकट से निकालने में अहम भूमिका थी। यह ऐसा दौर था जब विदेशी मुद्रा भंडार ख़त्म हो गया था और देश दिवालिया होने की कगार पर था। देश में महंगाई चरम पर थी और इंडियन करेंसी क्रैश हो चुकी थी। केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार थी। उस समय रूपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 18 फीसदी लुढ़क गया था और देश में फॉरेक्स रिजर्व केवल 6 अरब डॉलर बचा था। जो महज दो हफ्ते के लिए था। देश का राजकोषीय घाटा 8 प्रतिशत और चालू खाता घाटा 2.5 प्रतिशत पहुंच गया था।

मनमोहन सिंह का वो ऐतिहासिक बजट

गहरे आर्थिक संकट के हालातों में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह देश के 22वें फाइनेंस मिनिस्टर बनें। इस दौरान उन्होंने 24 जुलाई 1991 को अपना पहला बजट पेश किया और आर्थिक उदारीकरण के लिए बड़े फैसलों का ऐलान किया। कहा जाता है कि 1991के इस बजट ने इंडियन इकोनॉमी की सूरत बदल दी। डॉ सिंह ने आयात शुल्क को 300 फीसदी से घटाकर 50 फीसदी कर दिया और सीमा शुल्क को 220 प्रतिशत से 150 प्रतिशत कर दिया। आयात को सुगम बनाने के लिए लाइसेंस प्रक्रिया को आसान कर दिया। देश की सूरत बदलने के लिए ग्लोबलाइजेशन, लिबरलाइज़ेशन और प्राइवेटाइजेशन की बात कही गई। विदेशी निवेशकों को बढ़ाकर देश में प्राइवेट कंपनियों को आयात की आजादी दी गई।

60 करोड़ डॉलर की रकम जुटाई

इस दौरान उन्होंने TDS की शुरुआत करके कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाने का ऐलान कर दिया। साथ ही प्राइवेट सेक्टर की म्यूचुअल फंड में भागीदारी की अनुमति दी। वहीं तक़रीबन ख़त्म हो चुके विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक ऑफ इंग्लैंड समेत अन्य संस्थानों के पास इंडियन गोल्ड को गिरवी रखने का निर्णय लिया। इससे उन्होंने करीब 60 करोड़ डॉलर की रकम जुटाई।

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