Manmohan Singh Death: आर्थिक सुधारों के जनक और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। देर शाम तबीयत बिगड़ने के बाद सिंह को दिल्ली एम्स के इमरजेंसी विभाग में एडमिट कराया गया था। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रहते हुए इंडियन इकोनॉमी की तस्वीर बदल दी। भारत के आर्थिक उदारीकरण में डॉ मनमोहन का अविस्मरणीय योगदान रहा है। बता दें कि 90 के दशक में जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था उस समय वित्तमंत्री रहते हुए कई बड़े फैसले लिए। हम आपको मनमोहन सिंह के वो 7 बयान बता रहे हैं, जिन्होंने सभी को हैरान कर दिया –
”मैं जो कुछ भी हूँ, अपनी शिक्षा की वजह से हूँ।”
डॉ. मनमोहन सिंह सबसे पढ़े लिखें प्रधानमंत्री में से एक थे। उन्होंने एक बार कहा था कि ”मैं जो कुछ भी हूँ, अपनी शिक्षा की वजह से हूँ।”
”ऐसा काम कोई दूसरा राजनेता नहीं करेगा।”
साल 1996 से 2004 उनके लिए बेहद सक्रियता और व्यस्तता का दौर था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि ”ऐसा काम कोई दूसरा राजनेता नहीं करेगा।”
”मैं मानता हूँ कि आज के मीडिया की तुलना में इतिहास मेरे प्रति अधिक दयालु होगा।”
एक मर्तबा उनसे पूछा कि क्या आप मानते हैं कि आप अपने मिनिस्टर्स पर नियंत्रण नहीं रख पाए। तब उन्होंने कहा था कि ”मैं मानता हूँ कि आज के मीडिया की तुलना में इतिहास मेरे प्रति अधिक दयालु होगा।”
”कई मर्तबा सबसे समझदारी भरी बात यह होती है कि बहुत मूर्खतापूर्ण तरीके से काम किया जाए।”
अपने काम को लेकर वह कहते थे कि ”कई मर्तबा सबसे समझदारी भरी बात यह होती है कि बहुत मूर्खतापूर्ण तरीके से काम किया जाए।”
”यदि काम सही नहीं हुआ होता तो मुझे निकाल दिया जाता।”
जब देश की इकोनॉमी पटरी से उतरने वाली थी तब उन्होंने कहा था कि ”यदि काम सही नहीं हुआ होता तो मुझे निकाल दिया जाता।”
”यह समय गंवाने के लिए नहीं है।”
जब देश में डबल डिजिट की दर से महंगाई बढ़ रही थी तब उन्होंने कहा था कि ”यह समय गंवाने के लिए नहीं है।”
”बलिदान के लिए तैयार रहना होगा।”
एक बार देश की इकोनॉमी पॉलिसी में बदलाव को लेकर उन्होंने कहा था कि ”बलिदान के लिए तैयार रहना होगा।”