DIGITAL ARREST NEWS: मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक प्रेरणादायक घटना सामने आई है, जिसमें 16 साल की मृणाल करड़ेकर ने शातिर ठगों की चालाकी को समझते हुए अपने पिता को ‘डिजिटल अरेस्ट’ से बचा लिया। यह घटना डिजिटल सुरक्षा और जागरूकता का एक बेहतरीन उदाहरण है।

क्या है डिजिटल अरेस्ट की कहानी

ग्वालियर के तारागंज क्षेत्र के निवासी प्रकाश करड़ेकर, जो दवा कारोबारी हैं, को अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने कहा कि उनका मोबाइल नंबर चाइल्ड पोर्नोग्राफी और अवांछित मैसेजिंग में शामिल है।

– कॉलर ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) और बाद में सीबीआई अधिकारी बताया।
– ठगों ने प्रकाश को धमकी दी कि मुंबई क्राइम ब्रांच उनकी गिरफ्तारी के लिए टीम भेज रही है।
– उनके पास एक वीडियो कॉल आई, जिसमें एक वर्दीधारी व्यक्ति उन्हें नोटिस दिखाते हुए धमकाने लगा।
– प्रकाश घबरा गए और डेढ़ घंटे तक ठगों के ‘डिजिटल अरेस्ट’ में फंसे रहे।

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कैसे किया बेटी मृणाल ने ठगों का सामना

जब मृणाल स्कूल से घर पहुंची, तो उसने अपने पिता को परेशान और सहमे हुए देखा।
– पहले तो उन्होंने पिता से बात करने की कोशिश की, लेकिन वह कुछ बताने को तैयार नहीं थे।
– मृणाल ने तुरंत मोबाइल फोन अपने हाथ में लिया और कॉल काट दिया।
– ठगों के दोबारा कॉल करने पर मृणाल ने खुद उनसे बात की और उनके हर सवाल का जवाब दिया।
– मृणाल ने ठगों से उल्टा सवाल करना शुरू कर दिया, जिससे उन्हें समझ आ गया कि उनकी चाल अब काम नहीं करेगी।

कैसे समझें ‘डिजिटल अरेस्ट’ की चाल

मुंबई पुलिस का यह फेक डॉक्यूमेंट दिखाकर डराने की कोशिश की गई। चित्र:सोशल मीडिया

– ठग पहले डराते हैं कि आपका मोबाइल आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल हुआ है।
– वे सरकारी अधिकारी, जैसे CBI या पुलिस बनकर गिरफ्तारी की धमकी देते हैं।
– वीडियो कॉल में फर्जी वर्दीधारी अधिकारी दिखाकर विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं।
– ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर आपको घेरने और डराने का प्रयास करते हैं।

इस घटना से सबक

सतर्क रहें किसी भी अनजान कॉलर की बातों पर तुरंत भरोसा न करें। जानकारी जांचें किसी भी सरकारी कार्यवाही की पुष्टि संबंधित विभाग से करें। डिजिटल सुरक्षा फर्जी कॉल और मैसेजिंग के जाल से बचने के लिए जागरूक रहें । मृणाल करड़ेकर की सतर्कता और साहस ने न केवल उनके पिता को ठगों से बचाया,बल्कि पूरे देश को डिजिटल ठगी से बचने का एक बेहतरीन उदाहरण भी दिया है।

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INDORE:  इंदौर पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है । पुलिस ने फर्जी सीबीआई और ईडी अधिकारियों के रूप में लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है । ये दोनों आरोपित ठगों को खातों की सप्लाई करने के लिए डेढ़ प्रतिशत कमीशन पर काम करते थे । पुलिस ने जब जांच की तो एक खाते से करीब एक करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन पाया ।

गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार

डिजिटल अरेस्ट मामले की जांच कर रही अपराध शाखा ने गुजरात के दो अपराधियों को गिरफ्तार किया है । ये दोनों फर्जी सीबीआई और ईडी अफसर बनकर पूरे देश में ठगी कर रहे थे । इस गिरोह ने एक 71 वर्षीय वृद्ध से 40 लाख 70 हजार रुपये की ठगी की थी ।

फर्जी सीबीआई अधिकारी का फोन आया

एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया के मुताबिक, शिवधाम कॉलोनी, खंडवा रोड के रहने वाले एक वृद्ध के मोबाइल पर वॉट्सएप कॉल आई। कॉल करने वालों ने खुद को बांद्रा मुंबई पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताकर कहा कि उनके बैंक खाते में 2 करोड़ 60 लाख रुपये का अवैध ट्रांजेक्शन हुआ है। इसके बदले उन्हें 15 प्रतिशत कमीशन भी दिया जाएगा। आरोपितों ने वृद्ध को फर्जी सुप्रीम कोर्ट का आदेश और गिरफ्तारी से संबंधित दस्तावेज भेजे।

फर्जी दस्तावेजों का खेल

वृद्ध ने बताया कि उनका मुंबई में कोई खाता नहीं है और न ही उन्हें कोई कमीशन मिला है। फिर भी आरोपितों ने धमकाया कि बैंक अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया है और अब सीबीआई की टीम उनसे पूछताछ करने आ रही है। इसके बाद आरोपितों ने वृद्ध से फर्जी सीबीआई अधिकारी आकाश कुलकर्णी से बात करवाई और डिजिटल अरेस्ट करने का झांसा दिया। अंत में, वृद्ध के खातों से 40 लाख 70 हजार रुपये की ठगी कर ली। डर के मारे वृद्ध ने अपनी एफडी के पैसे भी आरोपितों को दे दिए।

ठगी का एहसास होने पर वृद्ध ने की शिकायत

ठगी का शिकार होने के बाद वृद्ध ने एनसीआरबी पोर्टल पर शिकायत की। पुलिस ने मामले की जांच करते हुए मंगलवार रात आरोपितों हिम्मत भाई देवानी और अतुल गिरी गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया, दोनों सूरत, गुजरात के निवासी हैं।

आरोपितों ने कबूला डेढ़ प्रतिशत कमीशन पर खातों की सप्लाई

पूछताछ में आरोपित हिम्मत भाई ने बताया कि वह कपड़ों की कारीगरी करता है और उसकी एक व्यक्ति से वॉट्सएप पर मुलाकात हुई थी, जिसने उसे खातों के बदले डेढ़ प्रतिशत कमीशन देने का वादा किया था। हिम्मत ने इस काम के लिए अतुल से फर्जी खाते लिए थे। पुलिस ने जांच में पाया कि इन खातों में एक करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ था।

क्या करें अगर आपको भी इस तरह का फोन आए

डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाओं के बढ़ते मामलों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी जांच एजेंसी, पुलिस या अन्य सरकारी संगठन डिजिटल अरेस्ट नहीं करते। अगर आपको इस तरह का फोन आए तो घबराएं नहीं, तुरंत फोन काटकर राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर इसकी सूचना दें। इसके अलावा, आप अपनी शिकायत cybercrime.gov.in पर भी दर्ज करवा सकते हैं । कृपया ध्यान रखें और सतर्क रहें, ताकि आप भी इस तरह के ठगी का शिकार न हो जाएं

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Digital Arrest: मध्य प्रदेश के खंडवा में एक नर्स को डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) करने का मामला सामने आया है। महिला खंडवा के जिला अस्पताल में पदस्थ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, महिला को करीब 21 घंटे तक बंद कमरे में डिजिटल अरेस्ट रखा गया। इस दौरान उसे कुछ खाना तो दूर पानी तक नहीं पीने दिया।

नर्स को आरोपियों ने पहले फोन कॉल किया इसके बाद उन्होंने व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल किया। महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि आरोपी उसे तस्करी और ड्रग्स की सप्लाई में नाम आने के नाम पर ठगने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, वह कुछ भी रुपये ट्रांसफर कराने में असफल रहे। महिला को यह फोन कॉल पंजाब और ओडिशा के नंबर से आए थे। नर्स का नाम कंचन उइके है।

एसपी मनोज राय ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि नर्स 21 घंटों तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। यहां तक उसे पानी तक नहीं पीने दिया गया। महिला ने इसकी शिकायत साइबर क्राइम में की। इससे पहले भी खंडवा में डिजिटल अरेस्ट के मामले आ चुके हैं। जिसमें नर्स के अलावा डॉक्टर और अफसर शामिल है। महिला को सबसे पहले कॉल शुक्रवार को करीब 2 बजे आया था। इसके बाद उन्हें शनिवार सुबह तक करीब 21 घंटों तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। महिला यह भी बताया कि डिजिटल अरेस्ट वारंट से डर गई था। इस मामले में एसपी मनोज राय ने बताया कि डिजिटल वारंट जैसी को चीज नहीं होती है। इससे डरने की आवश्यकता नहीं है।

मकान मालिक ने खुलवाया दरवाजा

पुलिस के मुताबिक, नर्स को आरोपियों ने 21 घंटे तक बंद कमरे में डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान उसे खाना तो दूर पानी तक नहीं पीने दिया और न ही किसी से बात करने दी गई। आरोपियों ने सबसे पहले महिला को फोन कॉल किया था। फिर उन्हें व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल के जरिए डिजिटल अरेस्ट रखा गया। महिला ने पुलिस को बताया कि आरोपी खुद को महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच के अफसर बताते रहे थे और महाराष्ट्र पुलिस की वर्दी पहनकर ही वीडियो कॉल कर रहे थे। महिला शुक्रवार दोपहर से शनिवार सुबह तक अरेस्ट रही। जब नर्स ने दिनभर दरवाजा नहीं खोला तो एक परिचित और मकान मालिक ने दरवाजा पीटना शुरू कर दिया। तब जाकर महिला ने हिम्मत जुटाकर दरवाजा खोला। वहीं, ठगों ने नर्स की सहेली से 50 हजार रुपये ठग लिए।