Prayagraj: महाकुंभ में लगातार VIP, VVIP लोग पहुंचकर संगम में स्नान कर रहे हैं। आस्था की डुबकी लगाने नेता और राजनेताओं का हूजुम देखने को मिल रहा है। वहीं, सभी को देश के सबसे महत्वपूर्ण और खास शख्श का बेसब्री से इंतजार था कि वो कब आएंगे और संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे।

जी हां, हम बात कर रहे हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की। 5 फरवरी को पीएम ने महाकुंभ पहुंचकर संगम स्नान किया और आस्था की डुबकी लगाई। महाकुंभ की शुरूआत से ही देश की कई नामी हस्तियों ने शिरकत कर महाकुंभ का लाभ लिया और संगम स्नान किया। नेता हो, अभिनेता हो, विदेशी मेहमान हो या कोई महत्वपूर्ण शख्सियत सभी ने पहुंचकर अवसर का लाभ लिया। लेकिन सभी को इंतजार था देश के प्रधानमंत्री का कि वो कब महाकुंभ जा कर डुबकी लगाएंगे। पीएम ने महाकुंभ पहुंचकर संगम स्नान किया और सूर्य देव को जल भी अर्पण किया। इस मौके पर उनके साथ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे।

5 मिनट तक मंत्र का जाप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्रयागराज में संगम में डुबकी लगाई। उन्होंने भगवा रंग के वस्त्र पहन रखे थे। हाथ और गले में रुद्राक्ष की मालाएं थीं। मंत्रोच्चार के बीच मोदी ने अकेले ही संगम में डुबकी लगाई। स्नान के बाद पीएम ने सूर्य को अर्घ्य दिया। करीब 5 मिनट तक मंत्र का जाप करते हुए सूर्य पूजा की। मोदी गंगा पूजन के बाद सीधे बोट से अरैल घाट पहुंचे। इससे पहले, मोदी का विमान बमरौली एयरपोर्ट पहुंचा। यहां CM योगी आदित्यनाथ ने स्वागत किया। एयरपोर्ट से हेलिकॉप्टर से पीएम डीपीएस के हेलिपैड पहुंचे। यहां से उनका काफिला अरैल के VIP घाट पहुंचा। वहां से सीएम योगी के साथ बोट से संगम पहुंचे।

एयरपोर्ट से हेलिकॉप्टर से अरैल पहुंचे

इधर, श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो, इसलिए पीएम मोदी बमरौली एयरपोर्ट से हेलिकॉप्टर से अरैल पहुंचे थे। वहां से वे बोट से संगम आए। PM के दौरे को देखते हुए मेले की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। संगम क्षेत्र में पैरामिलिट्री फोर्स भी तैनात की गई है। महाकुंभ में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी को संगम स्नान किया, पीएम ने महाकुंभ पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई। वहीं दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव भी चल रहे है और इसी मौके पर पीएम ने महाकुंभ में दर्शन लाभ लिया, इसके कई सियासी मायने निकाले जा सकते है।

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Mahakumbh: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर हुए हादसे ने हर किसी का दिल दहला दिया। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु अमृत स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे थे। इस दौरान देर रात अमृत स्नान के कुछ घंटे पहले मची भगदड़ में सैकड़ों लोग घायल हुए तो कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई। इस पूरी घटना के बाद अब कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे है।

वहीं, शासन प्रशासन के लिए एक चुनौती भी सामने है जब बसंत पंचमी का पर्व नज़दीक आ चुका है। ऐसे में एक बार फिर यहां करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद होगी। ऐसी स्थिति में आगे इस तरह की घटना ना हो इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। दरअसल, 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ में प्रतिदिन लाखों करोड़ों श्रद्धालु देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने से पहुंच रहे हैं।

मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ में प्रशासनिक आंकड़ों की बात करें तो 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई है। वहीं सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। बात दें कि उस वक्त हुई जब दूसरी अमृत स्नान के लिए करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंचे थे। ऐसे में स्नान के कुछ समय पूर्व क्षेत्र में भगदड़ मच गई। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्थाओं का अभाव और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त प्रयास न किए जाने का आरोप लगे। साथ ही यह भी कहा गया कि प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश या मार्ग दर्शन नहीं दिए गए थे जिससे यह हादसा हुआ।

हादसे के बाद कई तरह के सवाल भी खड़े हुए। कुछ लोगों का मानना है कि इस भगदड़ के लिए मुख्य रूप से प्रशासन ज़िम्मेदार है। आयोजन स्थल पर भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त इंतज़ाम नहीं थे। सुरक्षा इंतज़ामों की कमी के कारण यह दुर्घटना हुई। प्रशासन ने पहले से इस बारे में कोई ठोस योजना नहीं बनाई थी। जिससे लोग एक साथ बड़ी संख्या में इकट्ठे हो गए। वहीं, प्रशासन की तरफ से जारी की गई केवल चेतावनी का भी सही ठंग से पालन नहीं हुआ। ऐसे में भगदड़ के चलते हज़ारो श्रद्धालु तितर बितर हो गए।

इस पूरे हादसे में कुछ ऐसे भी लोग है तो सरकार की नीतियों को इसका दोषी मान रहे हैं। जो इतने बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त संसाधनों और तैयारियों का सही तरीके से प्रबंधन नहीं कर पाए। कुंभ जैसे विशाल आयोजन के लिए राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी होती है कि हर पहलू पर निगरानी रखें और उचित व्यवस्था तैयार करें, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, जिसके चलते इस हादसे ने इतना बड़ा रूप लिया।

प्रयागराज में हाल ही में हुए कुंभ मेले के दौरान भगदड़एक दिल दहलाने वाला हादसा है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए संगम क्षेत्र में उमड़े थे और इसी दौरान हुई भगदड़ में कई लोग घायल हो गए और कई की जान भी चली गई। यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और व्यवस्था की कमी को लेकर सवाल उठाती है। खासतौर पर, जब बसंत पंचमी का पर्व नजदीक है, और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ फिर से उमड़ने की संभावना है, तो प्रशासन और सरकार के सामने बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई है कि वह भविष्य में इस तरह की घटनाओं से कैसे बचें?

Mahakumbh: महाकुंभ 2025 से एक बड़ी खबर सामने आई है। किन्नर अखाड़े ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। यह निर्णय किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने लिया है। उनके साथ ही लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटा दिया गया और अखाड़े से बाहर कर दिया गया है।

वहीं, अब किन्नर अखाड़े का पुनर्गठन किया जाएगा और नए महामंडलेश्वर का चयन किया जाएगा। बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने 24 जनवरी 2025 को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान सन्यास ग्रहण किया था। उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से आशीर्वाद प्राप्त किया और उनका पट्टाभिषेक (सन्यास दीक्षा) किया गया। इसके बाद, उन्हें नया आध्यात्मिक नाम “यमाई ममतानंद गिरी” दिया गया।

ममता कुलकर्णी लगभग 25 वर्षों के बाद भारत लौटीं थीं और सीधे महाकुंभ में शामिल हुईं। बताया जाता है कि उन्होंने 12 वर्षों की कठोर तपस्या की थी और पहले 2012 के कुंभ मेले में भी भाग लिया था। महामंडलेश्वर बनने के दौरान, उन्होंने अपना पिंडदान भी किया था, जो सन्यास प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण भाग होता है।

साधु-संतों में विरोध और विवाद

ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के बाद से ही अखाड़े के भीतर और अन्य साधु-संतों में नाराजगी देखने को मिली। वैष्णव किन्नर अखाड़े ने इस पट्टाभिषेक को फर्जी और अवैध करार दिया। किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने सवाल उठाया कि किन्नर अखाड़े ने एक स्त्री को महामंडलेश्वर क्यों बनाया। अखाड़े के कई अन्य संतों ने भी इस नियुक्ति का विरोध किया और इसे अखाड़े की परंपरा के खिलाफ बताया। लगातार बढ़ते विवाद और बगावत के कारण किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने यह कड़ा फैसला लिया और ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया गया। अब किन्नर अखाड़े का पुनर्गठन किया जाएगा, जिसमें नए महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर का चयन होगा।

Saharanpur News: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले में एक अनोखी दुल्हन का मामला सुर्ख़ियों में है। यहां एक दुल्हन ने सुहागरात के दिन दूल्हे से बीयर गांजे की डिमांड कर डाली। इसके बाद मामला थाने तक पहुंच गया। दोनों पक्षों समझाने की कोशिश की जा रही है लेकिन अभी तक सुलह नहीं हो पाया है।

यह अजीबोगरीब घटना पुराने शहर की एक कॉलोनी से जुड़ा है,जहाँ दुल्हन ने सुहागरात के दिन ही दूल्हे से बीयर गांजा और मांस की डिमांड कर दी। दुल्हन की डिमांड पर दूल्हा हक्का-बक्का रह गया। उसने यह पूरा माजरा परिवार के दूसरे सदस्यों को बताया। इसके दूल्हा और उसके परिजन पुलिस थाने पहुँच गए। घटना के बाद पुलिस दोनों पक्षों को समझाने की भरसक कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक मामला शांत नहीं हो पाया है।

लड़की नहीं थर्ड जेंडर

वहीं, इस मामले में दूल्हे के परिवार ने दुल्हन पर आरोप लगाया कि वह लड़की नहीं बल्कि थर्ड जेंडर है। हालांकि, इस मामले में दोनों पक्षों ने अपनी तरफ से लिखित शिकायत नहीं दी है। फ़िलहाल, दोनों पक्षों ने अपने रिश्तेदारों की मदद से मामले को सुलझाने की कोशिश की है।

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Atul Subhash Suicide Case: बेंगलुरू के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड ने हर किसी को अंदर तक झकझोर कर दिया। सोशल मीडिया पर उनके जस्टिस की मांग हो रही है। 24 पन्नों के सुसाइड नोट और 84 मिनट के वीडियो में अपनी वाइफ निकिता सिंघानियां और ससुराल के 3 अन्य लोगों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया हैं। इसके अलावा अतुल ने जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर जज रीता कौशिक कौन हैं?

जज रीता कौशिक पर लगाया 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप

अतुल सुभाष ने जज पर आरोप लगाया कि जब अदालत में उनकी पत्नी पूछा कि तुमने अभी तक सुसाइड नहीं किया। तब जज रीता कौशिक हंसने लगी थीं। साथ अतुल ने आरोप लगाया कि उनके मामले को सेटल करने के लिए जज रीता कौशिक ने उनसे 5 लाख रूपये की रिश्वत की डिमांड की थी। उन्होंने यह आरोप लगा कि उनकी अदालत में पेशी के लिए पेशकार को 50 रुपये से लेकर 1000 रूपए की रिश्वत देना पड़ती है। इससे पहले साल 2022 में भी जज रीता कौशिक ने अपने पेशकार से मामला सेटल करवाने के लिए 3 लाख रूपये की डिमांड की थीं।

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अतुल के माता-पिता और छोटा भाई। चित्र:सोशल मीडिया

कौन हैं जज रीता कौशिक?

जौनपुर में प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक का जन्म 1 जुलाई 1968 को मुजफ्फरनगर ( उत्तर प्रदेश ) में हुआ था। साल 1996 में उन्होंने बतौर मुंसिफ ज्वाइन किया था। इसके बाद कौशिक वर्ष 1999 में सहारनपुर में जूडिशल मैजिस्ट्रेट बनीं। इसके बाद वे वर्ष 2000 से 2002 तक मथुरा में बतौर अडिशनल सिविल जज कार्यरत रही थीं। इसके बाद वे मथुरा में सिविल जज बन गईं। वर्ष 2003 में उनका ट्रांसफर मथुरा से अमरोहा हो गया। जहां वे बतौर जूनियर सिविल जज तैनात रहीं थी। साल 2003 से 2004 तक वे लखनऊ में स्पेशल सीजेएम रहीं थी। रीता कौशिक को 2004 प्रमोशन मिला और वे अडिशनल चीफ जूडिशल मैजिस्ट्रेट बनीं। इसके अलावा कौशिक आयोध्या में डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज तैनात रहीं। वर्ष 2018-2022 तक वे फैमिली कोर्ट (अयोध्या) में प्रिंसिपल जज रहीं। इसके उनका ट्रांसफर जौनपुर हो गया और तब से वे फैमिली कोर्ट में बतौर प्रिंसिपल जज हैं।

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