Friday, April 11, 2025

विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘जीरो से रीस्टार्ट’ भारतीय सिनेमा में एक अनोखा प्रयोग है

13 दिसंबर को रिलीज हुई फिल्म ‘जीरो से रीस्टार्ट’ भारतीय सिनेमा में एक अनोखा प्रयोग है। यह फिल्म न केवल पिछले साल की चर्चित फिल्म ‘12th फेल’ की मेकिंग पर आधारित है

MUMBAI: 13 दिसंबर को रिलीज हुई फिल्म ‘जीरो से रीस्टार्ट’ भारतीय सिनेमा में एक अनोखा प्रयोग है। यह फिल्म न केवल पिछले साल की चर्चित फिल्म ‘12th फेल’ की मेकिंग पर आधारित है,बल्कि एक प्रॉपर फिल्म के तौर पर इसे प्रस्तुत किया गया है।

‘कैसे बनी ‘जीरो से रीस्टार्ट’

– विधु विनोद चोपड़ा की टीम ने ‘12th फेल’ की शूटिंग के दौरान हर छोटे-बड़े पल को कैमरे में कैद किया था।
– विधु को जब इन बिहाइंड द सीन्स (BTS) फुटेज को देखा, तो उन्होंने महसूस किया कि इन पलों में एक पूरी कहानी छुपी है।
– उन्होंने इन वीडियो को एक फिल्म के रूप में कंपाइल किया और इसे नाम दिया ‘जीरो से रीस्टार्ट’।

फिल्म का नाम ‘जीरो से रीस्टार्ट’ क्यों ?

– यह फिल्म दिखाती है कि कैसे ‘12th फेल’ जैसी कहानी, जिसे शुरुआत में सबने नकार दिया था, आखिरकार सफलता की कहानी बन गई।
– विधु का मानना है कि कई बार जीवन में शून्य से शुरुआत करनी पड़ती है और यही ‘जीरो से रीस्टार्ट’ का संदेश है।

विधु विनोद चोपड़ा के 3 सिद्धांत

विधु विनोद चोपड़ा अपनी हर फिल्म में तीन मूल सिद्धांतों को लागू करते हैं:
1. एंटरटेनमेंट – लोगों का मनोरंजन करना।
2. एजुकेशन – दर्शकों को कुछ सीख देने का प्रयास करना।
3. एलिवेट – आगे बढ़ने की प्रेरणा देना।

‘जीरो से रीस्टार्ट’ तीसरे सिद्धांत, एलिवेट को बखूबी प्रस्तुत करती है। यह उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो मुश्किल हालात में भी हार नहीं मानते और शुरुआत करने की हिम्मत रखते हैं।

‘12th फेल’ की कहानी का असर

‘12th फेल’ आईपीएस मनोज शर्मा की संघर्षपूर्ण जिंदगी पर आधारित थी। इसने साबित किया कि मेहनत और लगन से किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है।
– शुरुआत में स्क्रिप्ट को नकारे जाने के बावजूद विधु विनोद चोपड़ा ने इसे फिल्म का रूप दिया।
– वर्ड ऑफ माउथ की बदौलत फिल्म ने सफलता पाई और लोगों के जीवन में एक गहरा प्रभाव छोड़ा।

 

‘जीरो से रीस्टार्ट’ का महत्व

– यह भारतीय सिनेमा में पहली बार हुआ कि किसी फिल्म की मेकिंग को एक अलग फिल्म के रूप में पेश किया गया है।
– यह फिल्म न केवल फिल्ममेकर्स के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि आम दर्शकों के लिए भी यह संघर्ष, भरोसे और नए सिरे से शुरुआत करने की कहानी है।

विधु विनोद चोपड़ा: जुनून और पागलपन का प्रतीक

72 साल के विधु विनोद चोपड़ा खुद मानते हैं कि उनके अंदर का “पागलपन” उन्हें युवा बनाए रखता है।
उनका यही जज्बा उनकी फिल्मों में झलकता है, चाहे वह ‘मुन्ना भाई’, ‘3 इडियट्स’* हो या अब  ‘जीरो से रीस्टार्ट’।

‘जीरो से रीस्टार्ट’ यह संदेश देती है कि असफलता या ठुकराए जाने के बावजूद हार न मानें। जब भी जीवन में चुनौतियां आएं, तो पूरी ताकत के साथ फिर से शुरुआत करें।

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